जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की वेकेशन बेंच ने सिहोरा में पदस्थ तहसीलदार शैलेन्द्र बड़ोनिया व उनकी पत्नी मझौली में पदस्थ तहसीलदार तृप्ति बड़ोनिया के सतना तबादले पर रोक लगा दी। गुरुवार को प्रशासनिक न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन की ग्रीष्म अवकाशकालीन एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता शशांक शेखर ने रखा।
उन्होंने दलील दी कि 10 माह पूर्व ही दोनों याचिकाकर्ताओं की सिहोरा व मझौली में पोस्टिंग की गई थी। चूंकि शैलेन्द्र बड़ोनिया ने मध्यप्रदेश शासन की नई तबादला नीति के विरोध में तैयार प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे, अतः दुर्भावनावश उनका पत्नी के साथ तबादला कर दिया गया। राज्य की दुर्भावना का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शैलेन्द्र बड़ोनिया के अलावा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले एक अन्य अधिकारी आलोक तिवारी का भी छिंदवाड़ा स्थानांतरण कर दिया गया।
बहस के दौरान दलील दी गई कि राज्य की तबादला नीति कठघरे में रखे जाने योग्य है। इस तरह बार-बार बिना किसी ठोस कारण या प्रशासकीय आवश्यकता के स्थानांतरण करने से अधिकारियों का मॉरल डाउन होता है। वे जमकर एक जगह काम नहीं कर पाते, इस वजह से वे अपनी प्रशासनिक क्षमता ठीक से प्रदर्शित करने से वंचित रह जाते हैं।