व्यापमं घोटाला: अब सुप्रीम कोर्ट जाएगी पेनड्राइव

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की एक्सलशीट संबंधी शिकायत खारिज करने और प्रशांत पांडे सहित दोनों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई को हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने को कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। सिंह ने कहा कि फिलहाल फैसले की प्रति उन्हें नहीं मिली है जैसे ही सत्‍यापित प्रति मिलेगी, वे इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बारे में अपने वकीलों से परामर्श करेंगे।

व्यापमं घोटाले में एसआईटी द्वारा पेश बंद लिफाफे की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश की राजनीति में भी उबाल आ गया है। जहां इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी राहत मिली है, वहीं दिग्विजय सिंह के लिए कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। फैसले के बाद ही दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी, विवेक तनखा, इंदिरा जयसिंह सहित कपिल सिब्बल से बात की। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा कि व्यापमं घोटाले को लेकर लड़ाई कांग्रेस जारी रखेगी और इसे अंजाम तक पहुंचाएगी, पूरी पार्टी दिग्विजय सिंह के साथ है।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक कृष्ण तनखा ने कहा कि एसटीएफ की यह कार्रवाई उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जैसी है। एसटीएफ तो खुद एक्सलशीट के फर्जीवाड़े की आरोपी है। उसने इस मामले में न तो ट्रूथ लैब का पक्ष सुना, न ही प्रशांत पांडे को पक्ष रखने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के द्वारा पेश शिकायत में ही कहा गया था कि इसकी वैधानिकता को सिद्ध करने के लिए सभी पक्षों को सुना जाए, पर ऐसा नहीं किया गया। तनखा ने कहा कि वे जल्द ही सारे मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

शिवराज को राहत
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की एक्सलशीट झूठी साबित होने से सबसे बड़ी राहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिली है। दिग्विजय ने अपनी शिकायत में चौहान पर ही निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि एसटीएफ ने नितिन महेंद्रा की हार्डडिस्क में टेम्परिंग की है। साथ ही एक्सेलशीट में सीएम की एंट्रीज को हटाकर उसकी जगह उमाभारती और राज्यपाल के नाम दर्ज किए गए हैं, पर इस फैसले से मुख्यमंत्री के खिलाफ ना सिर्फ दिग्विजय को मुंह की खानी पड़ी है, बल्कि समूची कांग्रेस को भी बड़ा झटका लगा है।

स्तब्ध हूं, निराशा हुई: सिंह
इस मामले को लेकर मीडिया को जारी बयान में सिंह ने कहा कि मैं हाईकोर्ट के आदेश से स्तब्ध हूं, निराशा हुई है। ह्विसल ब्लोअर द्वारा अपने वकील के माध्यम से उच्च न्यायालय में प्रस्तुत ट्रूथ लैब की रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने मनगढ़ंत और भ्रामक बताया है। यह चौंकाने वाली बात है कि लैब की रिपोर्ट की सच्चाई जानने कोर्ट ने न तो ट्रूथ लैब को विश्लेषण का मौका दिया, जबकि उसने इसका प्रस्ताव दिया था और न ही ह्विसिल ब्लोअर से कोई पूछताछ की।

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि एसआईटी जिसने कुछ दिन पहले ही मेरे समक्ष स्वीकार किया था कि वह नि:सहाय और अशक्त है, ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है वह एसटीएफ, इंदौर पुलिस और गुजरात राज्य की फोरेंसिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट पर ही आधारित है जो कि प्रथम दृष्ट्या ही एक्सेलशीट जैसे सबूत से छेड़छाड़ करने में या इसमें साथ देने के लिए जिम्मेदार है।

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