पढ़िए क्यों मां की अर्थी छोड़ परीक्षा देने गई सपना

जोधपुर। गुड़ा विश्नोइयां निवासी विधवा दयालदेवी का सपना था कि उनकी बेटी पूजा पढ़-लिख कर कलेक्टर बने। इसलिए कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने बच्ची की पढ़ाई नहीं छुड़वाई। पंद्रह वर्षीय पूजा दसवीं की छात्रा है और उसकी परीक्षा गुरुवार से ही शुरू हुई थी, कि उसी रात मां चल बसी।

शुक्रवार को मां के गुजर जाने से वह एक बार तो होश खो बैठी, लेकिन उनके सपने को पूरा करने के लिए अर्थी के घर से रवाना होने के बाद परीक्षा देने पहुंच गई। केंद्र पर पंद्रह मिनट देरी से पहुंचने के बावजूद उसने पंद्रह मिनट पहले पेपर खत्म कर लिया। राउमावि केंद्राधीक्षक बाबूलाल विश्नोई व इसी स्कूल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पूजा की ताईजी तेजूदेवी ने भी उसे प्रोत्साहित किया।
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