मोदी की 'जात' के साथ यूपी में जीत की तैयारी

वाराणसी। पिछड़े और दलित समुदाय को लुभाने की कोशिश करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज हो, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही उनकी तकलीफ समझ सकते हैं। शाह ने कहा कि मोदी उनमें से ही हैं और फिर जीवन में आगे बढ़े हैं, इसलिए सिर्फ वही उनकी तकलीफ समझ सकते हैं।

एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘आपके समर्थन से नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री बने और भाजपा को लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। अब एक बार फिर आपके समर्थन से उत्तर प्रदेश में अगली सरकार भाजपा की बनने जा रही है।’’ इस मौके पर समाजवादी पार्टी के स्थानीय पिछड़ी जाति के नेता अनिल राजभर भाजपा में शामिल हुए।

भाजपा अध्यक्ष ने मोदी की साधारण पृष्ठभूमि पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने जीवन में गरीबी का सामना किया है और अपने शुरूआती दिनों में गुजरात में चाय बेची है और आज देश के सबसे उंचे पद पर आसीन हैं।

मोदी के लोकसभा क्षेत्र में शाह ने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ी जाति के एक ऐसे व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री बनाया है जिन्होंने पूरी जिंदगी गरीबी का सामना किया और चाय बेची । हमारी पार्टी पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलित समुदाय का सम्मान करती है।’’

शाह ने किसी का नाम लिए बगैर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधा और उन्हें राज्य एवं अन्य जगहों पर गरीबी के लिए जिम्मेदार ठहराया।

पिछड़ी जातियों के मतदाताओं से 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने की अपील करते हुए शाह ने उन्हें याद दिलाया कि ‘‘यह वही पार्टी है जिसने अपने शासनकाल में उनके लिए काफी काम किया।’’ भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार राज्य में आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए काम करेगी। हमारी पार्टी जाति एवं धर्म के आधार पर राजनीति नहीं करती, बल्कि हमारी राजनीति विकास के एजेंडा के इर्द-गिर्द रहती है। हमारा मकसद उत्तर प्रदेश को देश का सबसे विकसित राज्य बनाना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिन्होंने पिछले 67 सालों में पंचायत से संसद तक शासन किया - कांग्रेस और उसके सहयोगी - उन्होंने लोगों के जीवन से गरीबी मिटाने की बात हमेशा कही है, पर ऐसा हुआ नहीं।’’ शाह ने कहा, ‘‘देशवासियों की गरीबी तो नहीं मिटी लेकिन उनके नेताओं की गरीबी जरूर चली गई।’’ उन्होंने कहा कि आजादी के छह दशक बाद भी करीब 40 करोड़ गरीबों के पास बैंक खाते नहीं थे।

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