बाबूजी के लिए शुभ नहीं रहा राजभवन

आनंद राय/लखनऊ। राजनीति में सादगी के प्रतीक माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के मध्यप्रदेश के राज्यपाल बनने के साथ ही मुश्किलें परछाई बन गईं। राज्यपाल बनाने का श्रेय सोनिया को देने के बाद राजनीतिक दलों के तीखे हमले से वह अभी दो-चार हो रहे थे कि पत्नी शांति देवी की बीमारी ने उन्हें हिलाकर रख दिया। पत्नी की मौत के झटके से उबरे भी नहीं कि सुख-शांति पर व्यापमं घोटाला ग्रहण बन गया। इसी घोटाले के आरोपों से घिरे उनके पुत्र शैलेष यादव की असमय संदिग्ध मौत से उम्र के इस पड़ाव पर एक बड़ा झटका लगा है।

मंझले पुत्र शैलेष यादव की मौत से मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह करीब तीन दशक पहले भी एक होनहार पुत्र को गंवा चुके हैं। बताते हैं कि पढ़ाई कर रहे उनके बेटे ने किसी बात पर खुदकुशी कर ली थी। चार पुत्रों में अब कमलेश यादव और अजय नरेश ही हैं। रामनरेश के करीबी आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी अरविन्द जायसवाल कहते हैं कि "मोम जैसे हृदय के बाबूजी के लिए यह जबर्दस्त आघात है।" पत्नी शांति देवी के 2013 में निधन के बाद जब रामनरेश यादव लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास पर आए, तब मीडिया से मुखातिब होते ही वह फफक पड़े थे। संघर्ष के दिनों में सबसे बड़ी सहयोगी रहीं पत्नी को खोने की टीस बाद के दिनों में भी उनके चेहरे पर चस्पा रही। परिचितों से मुलाकात में वह इस दुख का जिक्र करना नहीं भूलते।

मप्र का व्यापमं घोटाला उनके जीवन में तूफान की तरह आया। उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगा था, लेकिन व्यापमं घोटाले में उन पर मुकदमा दर्ज हुआ। एसटीएफ ने उनकी जबर्दस्त घेरेबंदी की और इसी घेरेबंदी में उनके पुत्र शैलेष यादव पर आरोपों का ठीकरा फूट पड़ा। रामनरेश यादव अंदर से टूटने लगे लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर बचाव का रास्ता ढूंढ लिया। लोग तो यहां तक कह रहे थे कि रामनरेश की कुर्सी अब गई-तब गई। यह तूफान किसी तरह थम गया। पर शैलेष की मौत के रूप में नए तूफान ने उनकी जिंदगी में दस्तक दे दी।

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