9 महीने से 5 स्टार में जमे हैं सांसद, 25 करोड़ हो गया बिल

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के कई सांसदों की दिल्ली में एक अदद घर की आस नौ महीने बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इन 'बेघर' सांसदों की श्रैणी में भाजपा सांसदों के ही नाम हैं। अब तक लोकसभा सचिवालय ने जिस पांच सितारा होटल में इन्हें ठहराया हुआ था, उसे भी खाली करने का फरमान जारी हो गया है। वजह होटल का बिल बताया जा रहा है, जो पच्चीस करोड़ तक पहुंच रहा है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने देशभर के लगभग पचास सांसदों को चाणक्यपुरी स्थित होटल अशोक के कमरे छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया है। मप्र के भाजपा सांसद प्रो.चिंतामणि मालवीय, दलपत सिंह परस्ते, नागेंद्र सिंह, सुभाष पटेल, बोधसिंह भगत, भागीरथ प्रसाद और मनोहर ऊंटवाल आदि को भी इसी होटल में ठहराया गया था।

हालांकि इन्हें दिल्ली में सांसद कोटे से आवास आवंटित हो गए हैं, लेकिन इनके निर्माण, मरम्मत आदि काम पूरे नहीं हो पाए हैं। दरअसल जब तक सांसदों को दिल्ली में आवास आवंटित नहीं होते, तब तक लोकसभा सचिवालय सांसदों के दिल्ली में रहने की व्यवस्था अपने खर्च पर करता है। इसके लिए राज्य सरकारों के दिल्ली स्थित भवनों में कमरे आरक्षित कराए जाते हैं तथा जरूरत अनुसार होटलों में कमरे लिए जाते हैं।

मप्र के होटलवासी कुछ सांसद ही आवंटित आवास में जा सके हैं। उधर सांसद अनूप मिश्रा भी 'बेघर' सांसद की सूची में हैं, उन्‍हें मप्र भवन में कमरा मिला हुआ है। जानकारी के मुताबिक गत माह मिश्रा को पंडारा लेन में बंगला आवंटित हुआ है, लेकिन मरम्मत आदि के इंतजार में वे भी भवन में डेरा डाले हैं।

कहां जाएं, पहाडगंज में ठहरें क्या?
उज्जैन सांसद मालवीय ने नईदुनिया से कहा-'हमारे आवास तैयार करा दिए जाएं तो हम फौरन होटल छोड़ देंगे। होटल में हम जरूरी सामान तक नहीं रख पा रहे हैं, लाइब्रेरी नहीं बना पा रहे हैं। होटल भले ही पांच सितारा है, लेकिन जनप्रतिनिधि को यहां परेशानी होती है, क्योंकि क्षेत्र के लोग यहां मिलने नहीं आ पाते हैं।' यद्यपि मालवीय ने कहा कि उन्हें नोटिस की जानकारी नहीं है।

वहीं पांच बार के सांसद परस्ते ने कहा कि 'पंत मार्ग पर हमें बंगला मिला लेकिन मरम्मत नहीं हुई। होटल में हमें कैद महसूस होती है, खाने के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है। होटल खाली कर दें तो सांसद कहां जाएं, क्या पहाडगंज में ठहरें।' वहीं भगत ने कहा कि मजबूरी है इसलिए टिके हैं,लेकिन नोटिस अभी नहीं आया है।

जेब से पेटपूजा !
दरअसल लोकसभा के मेहमान बनकर पांच सितारा होटल में रहना हर सांसद के बूते की बात नहीं है, क्योंकि उनके कमरे का बिल ही लोकसभा अदा करती है। भोजन के लिए सांसदों को अपनी जेब ढीली करना होती है। इन होटलों में भोजन की कीमतें आसमानी हैं, लिहाजा सांसद अपेक्षाकृत सस्ते खाने के ठिए ढूंढते हैं। मालवीय का कहना है कि इसी खर्च के चलते हम तो राज्य सरकार के भवन में खाना खाना पसंद करते हैं। भगत कहते हैं हमारे साथ चार-पांच लोग अक्सर रहते हैं, लिहाजा फाइव स्टार का खाना हजारों का पडता है।

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