आह, तो मोदी को ये प्रॉबलम थी इस महिला से

इंद्राणी बागची/नई दिल्ली। ओबामा की यात्रा में सुजाता सिंह का मामला चर्चा में नहीं आ पाया परंतु पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ। विदेश सचिव स्तर की महिला अधिकारी को समय से पहले इस्तीफा क्यों देना पड़ा, यह सवाल सरकारी गैलरियों के अलावा राजनैतिक कमरों में भी दोहराया जा रहा है। 

आइए जानते हैं वो कारण जिसके चलते मोदी नाराज हो गए थे
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 6 महीनों से विदेश मंत्रालय और खासकर पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह के नेतृत्व से नाखुश थे क्योंकि वह पीएम के बड़े हितों से तालमेल नहीं बैठा पा रही थीं। 

मोदी जिस तरह के सुधार चाहते थे सुजाता सिंह के अनुसार वो संभव नहीं थे और अनुचित भी अत: सुजाता सिंह असमर्थता जताती आ रहीं थीं। 

ब्रिक्स समिट डिक्लेरेशन के एक पैराग्राफ में इज़राइल की आलोचना की गई। इस समिट से पहले पीएम मोदी इज़राइल को एक प्राथमिक पार्टनर घोषित कर चुके थे।

इसके बाद भारत ने UNHRC में इज़राइल के खिलाफ वोट दिया, जो विदेश मंत्रालय के पारंपरिक उद्देश्यों के मुताबिक तो था लेकिन नई सरकार के स्टैंड से बिल्कुल अलग था। 

सितंबर में हुई पीएम मोदी की जापान यात्रा के संबंध में भी सुजाता सिंह ने मोदी को फोकस करने के बजाए भारत की पारंपरिक नीतियों को ही फोकस बनाए रखा। पीएमओ के अनुसार इन सबका नतीजा यह हुआ कि जिन रिश्तों में मोदी ने काफी मेहनत की थी, उनकी रफ्तार धीमी होती गई।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सुजाता सिंह के बीच अच्छी रिलेशनशिप हो गई थी। सुषमा जानती थीं कि विदेश मंत्रालय का एक्शन किस तरह का होना चाहिए और सुजाता उनके अनुसार फिट थीं, परंतु मोदी को कतई पसंद नहीं आ रहीं थीं। 

इसी के चलते विदेश मंत्रालय के बिगना ही विदेशी नीति से जुड़े फैसले पीएमओ में किए जाने लगे थे। इसके बाद भी जब सुजाता सिंह ने अपनी प्रशासनिक लाइन नहीं छोड़ी तो उन्हें बताया गया कि वो इस्तीफा दे दें। 

सुजाता सिंह ने भी पीएमओ के निर्देशानुसार इस्तीफा दिया परंतु इस्तीफे में उन्होंने यह भी लिख दिया कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर ऐसा कर रही हैं। पीएमओ चाहता था कि इस्तीफे में मोदी का जिक्र ना किया जाए परंतु सुजाता नहीं मानी। 

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