व्यापमं घोटाला: बड़ा बदनाम हुआ शिवराज

उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर।  निर्धन बालिकाओं का कन्यादान और बुजुर्गों को तीर्थदर्शन कराने वाले मप्र के लाड़ले शिवराज इस कदर बदनाम होंगे कभी सोचा ना था। अभी कुछ समय पहले, विधानसभा चुनावों के वक्त जिस आदमी के पीछे पीछे पूरा मध्यप्रदेश चल रहा था, आज उसी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे का इंतजार किया जा रहा है। व्यापमं घोटाले का कलंक इतना बड़ा लगा कि शिवराज के तमाम लोकलुभावन भाषण भी रीते रह गए।

अपनी ही पार्टी में अविश्वस्नीय
कांग्रेस की बात ना की जाए, लेकिन हालात यह है कि शिवराज सिंह चौहान अपनी ही पार्टी में अलग थलग पड़ गए हैं। खुद भाजपा और संघ से जुड़ी दूसरी स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को उम्मीद नहीं थी कि शिवराज सिंह चौहान व्यापमं घोटाले में शामिल हो सकते हैं। लोग हमेशा उन आरोपों पर ध्यान नहीं देते थे जो शिवराज ​के खिलाफ कांग्रेस लगाया करती थी, परंतु इस बार शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उसकी कानूनी और नीतिगत समीक्षा जो भी हो परंतु आम जनता के सामने स्पष्ट हो गया कि शिवराज सिंह चौहान बचकर भाग रहे हैं, खिसिया रहे हैं, बरगला रहे हैं।

सदन से क्यों भागे शिवराज, भाजपाई विधायक भी नाराज
विधानसभा सत्र 37 दिन चलना था। उसे चलने देना चाहिए था। कांग्रेस हंगामा कर भी रही थी तो उसे करने देना चाहिए था। यदि शिवराज निष्कलंक थे तो डरने की जरूरत क्या थी। आरोपों का सामना करते, जवाब देते। जनता आपके साथ थी। आपकी बात मान रही थी। फिर सत्र को 7 में खत्म क्यों करवा दिया।

बदले की FIR ने घटाए नंबर
सबको साफ दिखाई दे रहा है। लोगों की आखों में धूल नहीं झोंकी जा सकती। मप्र में भाजपा की सरकार बनते ही मप्र की जनता चाहती थी कि घमंडी दिग्विजय सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए परंतु नहीं की गई। कोई जांच नहीं हुई। खुलासे हुए तो फाइलें दबा दीं गईं और अब जब दिग्विजय सिंह ने सीएम की पत्नि का व्यापमं घोटाले से रिश्ता सार्वजनिक कर दिया तो बौखलाकर बदले की एफआईआर दर्ज करा दी। भले ही शिवराज के मैनेजर्स उन्हें समझा रहे हों कि इससे दिग्विजय सिंह की मुहिम प्रभावित होगी परंतु असलियत तो यह है कि शिवराज की ब्रांड डैमेज हो गई। बदले की एफआईआर ने शिवराज के नंबर घटा दिए।

संभल जाओ शिवराज
अभी भी वक्त है, या यूं समझ लो कि अब अंतिम वक्त है, संभल जाइए। यदि अब भी नहीं संभले तो आरएसएस के भंवर में फंसकर ना जाने कहां निकल जाआगे। इतिहास गवाह है। बड़े बड़े तुर्रम इस जंजाल में फंसकर पब्लिक डोमेन से लापता हो गए। संघ को मालूम है कि मप्र में शिवराज का जितना उपयोग किया जाना चाहिए था हो चुका है। संघ अपनी योजना बना रहा है। लोकप्रियता का ग्राफ यदि इस कदर नीचे गिरा तो वो फैसला जो बार बार टल रहा है, नागपुर में जल्द ही हो जाएगा।

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