डॉक्टरों की हड़ताल से नवजात की मौत, फिर भी जारी रहेगी हड़ताल

भोपाल। पलंग टूटने से प्रसूता की मौत के बाद हुई कार्रवाई के विरोध में चल रही डॉक्टरों की हड़ताल के कारण यहां एक नवजात शुरू की मौत हो गई। हड़ताली डॉक्टरों ने दर्द से तड़प रही प्रसूता को भर्ती नहीं किया, जिससे दरवाजे पर ही प्रसव हो गया और नवजात की मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार मंगलवार को अजमेर खान अपनी पत्नी रुबीना को प्रसव के लिए सुल्तानिया अस्पताल लाए थे। काफी वक्त गुजर जाने के बाद भी डाक्टरों ने प्रसूता रुबीना को भर्ती नहीं किया। हड़ताल के चलते, जब परिजन रुबीना को किसी ओर अस्पताल में ले जा रहे थे, तभी रुबीना का प्रसव हो गया और उसने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। वक्त पर जरूरी उपचार नहीं मिलने के कारण बच्चे ने जन्म के कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत से नाराज परिजनों ने बच्चे की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार बताया।

मामले की जांच के लिए बनाई गई थी जांच समिति
गौरतलब है कि 11 जनवरी को सुल्तानिया जनाना अस्पताल में पलंग टूटने से एक प्रसूता की मौत हो गई थी। घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज एवं सुविधा में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे। आरोप व विरोध के बाद शासन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी।

रिपोर्ट के आधार पर 5 लोगों को किया गया था निलंबित
समिति की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने अस्पताल की अधीक्षक डॉ.सुधा चौरसिया सहित एक ड्यूटी डॉक्टर और तीन नर्स को सस्पेंड कर दिया था। राज्य सरकार के इस निलंबन आदेश से नाराज होकर सुलतानिया और हमीदिया अस्पताल के डॉक्टर्स और नर्सेस ने सोमवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी थी।

इन लोगों को किया गया है निलंबित
इस मामले में राज्य सरकार ने डॉ. सुधा मैहर चौरसिया को गंभीर लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया है। साथ ही एक अन्य चिकित्सक, एक मेट्रेन, एक स्टाफ नर्स और एक इंजार्च नर्स को भी लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित किया गया है।

सुल्तानिया अस्पताल की अधीक्षक डॉ. सुधा चौरसिया सहित छह साथियों के निलंबन के विरोध में सोमवार को हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीजों के ऑपरेशन नहीं किए। मंगलवार को भी ऐसी ही स्थिति रही। ओपीडी में केवल गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज दिया गया। इसके चलते दोनों अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए परेशान होते रहे। वहीं डॉक्टरों की अघोषित हड़ताल शुरू होने के बाद सरकार और मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की दो बैठकें हुई। दोनों ही बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई।

डॉक्टरों की हड़ताल का सबसे ज्यादा असर हमीदिया अस्पताल के हड्डी रोग और सर्जरी विभाग में देखने को मिला। दोनों डिपार्टमेंट में रोजाना 10 से ज्यादा मेजर ऑपरेशन होते हैं, जो सोमवार को नहीं हुए। ऐसी ही स्थिति सुल्तानिया अस्पताल में रही। यहां सोमवार को सिर्फ पांच महिलाओं की सीजर डिलीवरी कराई गई। सामान्य दिनों में सुल्तानिया अस्पताल में रोजाना औसतन 12 सीजेरियन डिलीवरी होती हैं। वहीं पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में हड़ताल के चलते वार्ड में भर्ती मरीजों की जांचें नहीं की गई।

दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की हड़ताल का समर्थन सोमवार को मध्यप्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन ने भी किया। दोनों संगठनों के पदाधिकारियों ने गांधी मेडिकल कॉलेज के पीएसएम डिपार्टमेंट में टीचर्स एसोसिएशन के साथ बैठक की थी। बैठक में मंगलवार दोपहर तक निलंबित डॉक्टरों और पेरामेडिकल स्टाफ की बहाली नहीं होने पर, बुधवार को कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में अनिश्चतकालीन हड़ताल करने का निर्णय लिया गया।

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