कालेधन को सफेद करने वालों पर सेबी शिकंजा

राकेश दुबे@प्रतिदिन। काले धन को सफेद बनाने (मनी लॉन्ड्रिंग) के संदेह में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए बाजार नियामक [सेबी] ने 260 इकाइयों को सिक्यॉरिटीज बाजार में किसी प्रकार का लेन-देन करने से प्रतिबंधित कर दिया। साथ ही इस सिलसिले में जरूरी कार्रवाई के लिए उसने मामले को टैक्स विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय आसूचना इकाई समेत अन्य एजेंसियों को भेजने का निर्णय किया है।

दो अलग-अलग अंतरिम आदेशों में सेबी ने कहा कि इन 260 इकाइयों को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक सिक्यॉरिटीज बाजार से प्रतिबंधित किया जाता है। इसके तहत वे न तो प्रत्यक्ष रूप से और न ही परोक्ष तरीके से सिक्यॉरिटीजयों की खरीद-बिक्री कर पाएंगे। सेबी ने शेयर बाजारों तथा डिपोजिटरीज से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उसके सभी निर्देशों का पालन कड़ाई से हो।

जहां 152 इकाइयों को फर्स्ट फाइनैंशल सर्विसेज लिमिटेड नाम की एक इकाई से जुड़े मामले में प्रतिबंधित किया गया है वहीं 108 इकाइयों को रैडफोर्ड ग्लोबल लिमिटेड से जुडे मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। यह कार्रवाई ऐसे समय की गयी है जब सरकार ने विदेशों एवं देश में रखे गये काला धन का पता लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया है।

पहले मामले में शेयर बाजार में पूरे दो साल 31 मार्च 2014 तक कारोबार हुआ। जबकि दूसरा मामला जनवरी 2013 से लेकर एक साल से अधिक की अवधि का है। सेबी ने कहा कि प्रतिबंधित इकाइयों ने शेयर बाजार में काम करने के लिये जो तौर-तरीके अपनाए, उसका मकसद दीर्घकालीन पूंजी लाभ कर से बचना तथा आय को शेयर बाजार के जरिए कानूनी रुप से कमाई गई आय के रूप में दिखाना था। सेबी ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या सिक्यॉरिटीज बाजार में धोखाधड़ी तथा उसके दुरुपयोग पाया गया है।

पहले मामले में प्रतिबंधित इकाइयों में कंपनी, उसके 7 प्रवर्तक तथा निदेशक, 80 प्रमुख आवंटी, 57 फर्स्ट फाइनैंशल ग्रुप इकाइयां तथा इकाइयों से संबंधित 7 अन्य संदिग्ध शामिल हैं। रैडफोर्ड मामले में सेबी ने कंपनी, उसके चार निदेशकों, एक प्रवर्तक इकाई, एक समूह कंपनी के दो निदेशकों, 49 प्रमुख आवंटी, रैडफोर्ड ग्रुप की 29 इकाइयों, पांच संदिग्ध इकाइयों तथा सात अन्य को प्रतिबंधित किया है।

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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