भोपाल। श्रीअरविन्दो सोसायटी एवं श्रीअरविन्दो एजुकेशन सेंटर भोपाल के अध्यक्ष उमेश त्रिवेदी ने कहा है कि श्रीअरविन्द स्कूल छात्रों को मेधावी बनाने के साथ ही उनके सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास पर भी पूरा जोर देता है और इसमें पालकों का सहयोग नितान्त जरुरी है। हमारी प्राथमिकता यह है कि छात्रों को मेरिट में स्थान मिलने के साथ ही उनमें व्यक्तित्व का विकास हो, इस दिषा में हम विषे प्रयास कर रहे हैं। पालकों को एक उत्प्रेरक के रुप में अपनी भूमिका निभानी होगी और प्रबंधन समिति हमेशा उनके सुझावों का स्वागत करेगी।
श्री त्रिवेदी आज यहां श्रीअरविन्दो स्कूल तुलसी नगर भोपाल के दो दिवसीय रजत जयंती वार्षिक उत्सव समारोह के अंतिम दिन पालकों व छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे। श्री त्रिवेदी ने कहा कि सम्प्रेषण और संपर्क के माध्यम से छात्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में स्कूल सतत् प्रयत्नशील रहेगा और हमारा यह प्रयास होगा कि शाला से ऐसे प्रतिभावान छात्र निकलें जो अपने कार्य क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका का निर्वहन करने में सफल रहें।
न केवल पालकों के सुझावों का स्वागत होगा बल्कि हमें यह अधिक पसंद आयेगा कि पालकगण हमसे यह भी पूछें कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर हमने कितना अमल किया। रविन्द्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीअरविन्दो एजुकेशन सेंटर भोपाल के उपाध्यक्ष द्वय अरुण पटेल एवं ब्रजमोहन श्रीवास्तव, संचालक द्वय श्रीमती रष्मि त्रिवेदी व मधुलिका श्रीवास्तव एवं प्राचार्य श्रीमती नलिनी पटेल उपस्थित थे। प्राचार्या श्रीमती नलिनी पटेल ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद कक्षा छठवीं से लेकर बारहवीं तक के छात्रों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। मध्यप्रदेष और छत्तीसगढ़ भले ही दो अलग राज्य बन गये हों लेकिन अभी भी दोनों के दिल की धड़कन समान है और दिल एकसाथ धड़कता है, इसकी बानगी छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य ..महुआ झरत जाए.. की प्रस्तुति से देखने को मिली। अनेकता में एकता हमारे देष की खासियत है और इसका मंचन कष्मीरी, गुजराती, तेलगू लोकनृत्यों व भरत नाट्यम तथा कत्थक नृत्यों के माध्यम से किया गया।
बेटी है तो कल है- की भावना का संदेष और सामाजिक जागृति के उद्देष्य से ‘बालिका बचाओ‘ नृत्य नाटिका का प्रभावी मंचन किया गया तथा इसके साथ ही प्रोजेक्टर के माध्यम से बालिका की अहमियत को प्रदर्षित किया गया। ‘दमादम मस्त कलंदर‘ कव्वाली का भी दर्षकों ने काफी स्वागत किया, इस अवसर पर जो भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए उनमें सामाजिक सरोकारों एवं समाज सुधारों से जुड़ा कोई न कोई संदेष छुपा था। ‘यम की सभा‘ के माध्यम से समाज में फैली विद्रूपताओं को भी छात्र-छात्राओं ने बड़ी ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया।