रीवा में तेजी से बढ़ रही है एड्स के मरीजों की संख्या

भोपाल। मध्यप्रदेश के जिन जिलों में एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, उनमें से एक रीवा जिला इन दिनों इन रोग का सबसे अधि‍क दंश झेल रहा है। रीवा में एचआईवी मरीजो की संख्या में लगातार हो रहे इजाफे ने इस जिले को भी एचआईवी मामले में ए ग्रेट में शामिल कर दिया है। इसके चलते यह कहना गलत न होगा कि यह डेंजर जोन में आ गया है।

आंकड़ो पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष एचआईवी संक्रमित मरीजो की संख्या बढ़ी है। पूरे संभाग को यदि टटोला जाय तो रीवा इस मामले में सबसे ऊपरी पायदान पर है। विभागीय आंकड़ो के अनुसार जहां रीवा में लगभग 771 एचआईवी से संक्रमित रोगियों की संख्या है वही सतना में लगभ 315,सीधी में लगभ 193 एवं सबसे कम सिंगरौली जिले में लगभ 68 है। इन सभी रोगियों को जिनका पंजीयन एआरटी सेंटर में है उन्हे हर माह जांच के लिए बुलाया जाता है और इसके बचाव की सही सलाह दी जाती है।

वहीं प्रि एआरटी व आन एआरटी के मरीज संभाग के चार जिलों में रीवा में प्रि एआरटी के 771 व आन एआरटी के 373 मरीज हैं। प्रि एआरटी में जांच के दौरान पाए गए एचआईवी पाजिटिव के सभी मरीजों को पहले प्रि एआरटी में रजिस्ट्रेशन किया जाता है,बाद में सीडी 4 टेस्ट करने के बाद जिन रोगियों का काउण्ट 350 के नीचे हो जाता है उन्हें आन एआरटी में सम्मिलित कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है।

जानकारी के मुताबिक हर छह माह में सीडी 4 टेस्ट किया जाता है जिसके चलते यह पता लगाया जाता है कि ऐसे कितने मरीज है जिनकों इलाज की आवश्यकता है। एआरटी के प्रभारी डा.एम.के.जैन के अनुसार जिन लोंगो को एचआईवी पाजिटिव के लक्षण हैं,अगर सही समय में सही इलाज करांए तो वह सामान्य लोंगों की तरह जिन्दगी गुजार सकते हैं। इसके लिए पौष्टिक भोजन,साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है,जिसके चलते एचआईवी ग्रोथ को रोका जा सकता है।

प्रदेश में 15 एआरटी सेंटर
एचआईवी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पूरे प्रदेश में पन्द्रह एआरटी सेंटर खोले गए हैं साथ ही जिले के हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आईसीटीसी व पीपीटीसीटी केन्द्र हैं। जहां पर इसकी सही एवं मुफ्त जांच की जाती है। शासन स्तर से भी एचआईवी की जागरूकता को बढ़ाने के लिए कई योजनाए चलाई जा रही है जिसके लिए काफी पैसे खर्च किए जा रहे हैं।इससे सावधानी वरतने के लिए सुझव देने सभी एआरटी सेंटरों में कांउंसलर बैठाए गए हैं जो लोंगो को एड्स से बचने के उपाय बताए जाते हैं।

गर्भवती महिलाएं भी हैं शिकार
एचआईवी की चपेट में गर्भवती महिलाएं भी शामिल है जिनके पेट में पल रहे बच्चों को भी इसके फैलने का खतरा बढ़ जाता है। डाक्टरों के अनुसार जिन गर्भवती महिलाओं में इसके लक्षण पाए जाते है उन्हे प्रसूति के समय नेब्रापिन टैबलेट दिया जाता है जिसके चलते जन्म ले रहे बच्चे में इसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है।

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