भोपाल। मानो या ना मानो लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जैसी सीट पर भी जातिवाद के पहाड़े पढ़े जा रहे हैं। मोदी लहर और पीसी की पीआर को छोड़कर जातिवाद को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। हालात यह है कि संजर अपने साथ शर्माओं को और शर्मा अपने साथ श्रीवास्तवों को लेकर घूम रहे हैं।
भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अपना दमदार प्रत्याशी पीसी शर्मा उतारा है तो भाजपा ने कार्यालय मंत्री आलोक संजर को टिकिट थमा दिया। पूरा भोपाल जानता है कि पीसी को अपनी पीआर और संजर को मोदी लहर का ही सहारा है। चुनौती दोनों के सामने है और चुनाव में खुद को योग्य प्रत्याशी प्रमाणित करना है परंतु योग्यता की प्रतियोगिता को दरकिनार कर दोनों प्रत्याशी जातिवाद की रेस में लगे हुए हैं।
भाजपा प्रत्याशी आलोक संजर कायस्थ समाज से आते हैं। भोपाल लोकसभा सीट पर कायस्थों का होल्ड अच्छा माना जाता है, अत: आलोक संजर को अपने समाज पर भरोसा है, वहीं कांग्रेस के पीसी शर्मा को यही डर सता रहा है कि कहीं कायस्थों का कुनबा उनकी धूल ना उड़ा दे। इसीलिए वो कांग्रेस के तमाम कायस्थ नेताओं को अपने साथ लेकर जनसंपर्क करते हैं। यह जताने के लिए कायस्थ समाज का समर्थन उन्हें मिल रहा है।
इसके इतर कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा भोपाल में जबर्दस्त पीआर वाले नेता माने जाते हैं, परंतु भाजपा प्रत्याशी आलोक संजर को लगता है कि कहीं ब्राह्मण वोटबैंक हाथ से निकल जाए। यदि निकल गया तो गड्डा भरना मुश्किल हो जाएगा। भोपाल लोकसभा में ब्राह्मणों की घुसपैठ भी दमदार ही है। इसीलिए आलोक संजर अपने साथ भाजपा के ब्राह्मण नेताओं को लेकर घूम रहे हैं, यह जताने के लिए कि ब्राह्मण समाज का सपोर्ट उनके साथ है।
देखिए राजनीति की रपटीली राहें, दो पढ़े लिखे समझादार लोग किस करद बेमुद्दे के मामलों में संघर्ष कर रहे हैं।