महोदय, निवेदन यह है कि हम तीन लाख से अधिक अध्यापक की एक ही प्रमुख मांग है कि जो अध्यापक कई दीगर विभागों में विभिन्न नाम, पदनाम से शिक्षकों के समान कार्य कर रहे है। उन सभी अध्यापकों को स्कूल शिक्षा विभाग के अन्तर्गत लाकर उन्हें तदानुसार वेतनमान, सुविधा नियमित शिक्षकों के समान ही प्रदाय की जाये।
इस मांग को मानने से शासन पर कोई अतिरिक्त व्यय, भार नहीं होगा और ना ही किसी नियमों, अधिनियमों को परिवर्तित करना पड़ेगा। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग के तहत ही हम सभी शिक्षक (शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, अध्यापक, गुरूजी) कार्य कर रहे है तथा संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों के तहत समान कार्य समान वेतन के सिद्धान्त अनुसार राज्य शासन की उनके समकक्ष संवर्ग पदों की अर्हतानुसार उन्हें भी यह सुविधा स्वमेव प्राप्त होगी।
यहां यह बताना मैं समाचीन समझता हूँ कि भारत सरकार के द्वारा वेतन आयोग की रिपोर्ट अनुसार टेक्निकल पदों को विशेष महत्व दिया जाकर उन्हें कर्मचारियों से अधिक सुविधाएं प्रदाय की गई है। यह विभाग पद है, स्वास्थ्य विभाग के डाॅक्टर, नर्से, इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियर, षिक्षा विभाग के प्रोफेसर एवं षिक्षक इन पदों पर धारित व्यक्तियों को यह सुविधाएं दी गई है कि यह 60 वर्षो के स्थान पर 62 एवं 65 वर्षो की आयु में सेवानिवृत्त होगे एवं साथ ही समयमान वेतनमान पदोन्नतियां आदि अन्य सुविधाएं प्राप्त होगी तथा सेवानिवृत्ति उपरान्त भी इनके पद स्वमेव समाप्त नहीं होगें बल्कि आवष्यकतानुसार समय-समय पर इन्हें नियमित पदों की संरचना एवं स्वीकृति शासन द्वारा इन्हें प्रदान की जायेगी। उपरोक्त मांगे मानने से हमारी सभी समस्याओं को निदान हो सकेगा।
षिक्षकों को नियमित वेतनमान प्राप्त होना, नियमित षिक्षक के समान सुविधाएं, सुविधाओं का मिलना इसमें शामिल है। षिक्षकों के कई न्यायालयीन प्रकरण प्रदेष के विभिन्न न्यायालयों में प्रचलन में है। उपरोक्त मांग मानने से यह सभी न्यायालयीन प्रकरण समाप्त हो जावेंगे।
शासन की वर्ष 2003 की स्थिति से षिक्षकों की यह मांग स्वीकार करना चाहिये जिस दिन से राज्य शासन ने अन्य विभागों में पेन्षन समाप्ति नियमित पदों का सेवानिवृत्ति उपरान्त पदों का समाप्त हो जाना शामिल है। 2003 की स्थिति में स्कूल षिक्षा विभाग अन्तर्गत जो नियमित पद थे उन्हें पुर्नजीवित कर प्रदेष के दीगर विभागों में षिक्षकों को स्कूल षिक्षा विभाग लिया जाकर उनका संविलियन पात्रता एवं वरिष्ठता अनुसार 2003 के नियमित षिक्षकों के पदों पर किया जावे। इससे हमारी सभी समस्याओं का निदान हो सकेगा।
आज हम तीन लाख से अधिक अध्यापक संविदा षिक्षक, गुरूजी शासन और प्रषासन की लचरता के कारण ही कई दीगर विभागों के बीच उलझे हुए है। जैसे नगरीय निकाय विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग हमारे नियुक्तिकर्ता विभाग है परन्तु हमें अपने नियुक्तिकर्ता विभागों में पदोन्नतियां और उस विभाग की तरह वेतन भत्ते सुविधाएं नहीं मिली है। शासन एवं प्रषासन द्वारा हमसे स्कूल षिक्षा विभाग के कार्य लिये जाते है परन्तु इस विभाग में कार्यरत नियमित षिक्षकों के समान वेतनमान व भत्ते नहीं दिये जाते। जबकि हमारा कार्यस्थल स्कूल षिक्षा विभाग का है। एक ही स्थल पर शासन ने कई प्रकार के षिक्षक नियुक्त कर दिये है। जिसमें नियमित षिक्षक जिसे समान वेतनमान एवं सेवा शर्ते प्राप्त है वहीं दूसरी ओर अध्यापक, गुरूजी, संविदा षिक्षकों को नियमित षिक्षकों के समान कार्य वेतनमान एवं शर्ते आज तक नहीं दी गई है। हम सभी प्रकार के षिक्षक एक साथ समान कार्य करते हुये भी शासन द्वारा हमें मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताडि़त कर रही है। इस तरह शासन जान बूझकर हमारा व हमारे साथ जुड़े परिवार का शोषण कर रही है। हम समानता के अधिकार और मानव अधिकार से वंचित है। आज भी हम वर्ष 1998 से मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जैसे -
1. अध्यापकों का षिक्षा विभाग में संविलियन कर समान वेतनमान एवं सेवा शर्ते लागू की जाएं।
2. केन्द्रीय सरकार की तरह अध्यापकों की न्यू पेन्षन स्कीम लागू की जाए।
3. 2003 तक नियुक्त अध्यापकों को पेन्षन लागू की जाए।
4. अध्यापकों को गे्रज्युटी का लाभ नियमित षिक्षकों की भांति दिया जाए।
5. अध्यापकों की आज तक कोई स्थानान्तरण नीति नहीं है इसे नियमित षिक्षकों की भाँति लागू किया जाए।
6. अध्यापक का बीमा/मेडिकल नहीं है इसे इसे नियमित षिक्षकों की भाँति लागू किया जाए।
7. अध्यापकों को भ्त्। का लाभ नियमित षिक्षकों की भाँति दिया जाए।
8. अध्यापक की मृत्यु के पश्चात् उनके आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति दी जाए जिसमें सरकार द्वारा डी.एड./बी.एड. की अनिवार्यता समाप्त की जाए तथा नियमित षिक्षकों की भांति लागू हो।
9. अध्यापक संवर्ग को 4 किस्तों में मिलने वाला वेतनमान जो 2017 तक दिया जायेगा उसे एक मुष्त दिया जाये तथा वेतनमान की गणना नियुक्ति दिनांक से करके एरियर्स को 1 जनवरी 2016 के पूर्व दिया जाए।
भवदीय,
राकेश पाण्डेय
प्रदेष प्रवक्ता
मो. नं. 9479866980
