सोशल मीडिया के मॉनीटरिंग रूम इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं है

भोपाल। कलेक्टोरेट भोपाल में बने मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग कमेटी रूम में सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा प्रत्याशियों के सोशल अकाउंट पर नजर रखने के निर्देशों का पालन ही नहीं हो रहा है। 

भारत चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार के खर्चे को भी प्रत्याशियों के खर्चे में जोडऩे के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए प्रत्याशियों के फेसबुक, ट्वीटर सहित अन्य सोशल साइट्स पर नजर रखी जाना है। भोपाल कलेक्टोरेट में आयोग के आदेश का ही पालन नहीं किया जा रहा है। 

दैनिक भास्कर के टेबलॉयड डीबी स्टार के पत्रकार आनंद पवार :9926908789 ने खुलासा किया है कि भोपाल कलेक्टोरेट में बने मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग कमेटी रूम में आयोग के आदेश का पालन करने को लेकर खानापूर्ति की जा रही है। कमेटी रूम में एक कम्प्यूटर से चैनल के 24 घंटे की रिकॉर्डिग की जा रही है, जबकि सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए अलग से न तो मीडिया सेल में कोई कम्प्यूटर है और न ही इंटरनेट सुविधा।

इस कारण प्रत्याशियों के सोशल अकाउंट पर नजर रखने पर सवाल उठने लगे हैं। विधानसभा चुनाव में पालन नहीं चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में भी सोशल अकाउंट पर नजर रखने के आदेश अक्टूबर 2013 में दिए थे, लेकिन इसका पालन उस समय भी नहीं हो सका था। इसका कारण सोशल मीडिया पर प्रसारित विज्ञापन का हिसाब लगाने को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होना था।

इसमें सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे फेसबुक, वर्चुअल गेम वर्ल्ड। लॉग्स एंड माइक्रो लॉग्स जैसे ट्विटर। कोलैबोरेटिव प्रोजेक्ट जैसे विकीपीडिया और कंटेंट कम्यूनिटीज जैसे यू ट्यूब पर नजर रखना है। 

निगरानी रखना है काम
मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग ((एमसीएमसी)) कमेटी के दो काम महत्वपूर्ण हैं। इसमें एक विज्ञापन के सर्टिफिकेशन जारी करना और दूसरा पेड न्यूज की मॉनीटरिंग करना। राज्य स्तर और जिला स्तर पर मीडिया कमेटी बनाई गई है। इसमें जिला स्तर की कमेटी के अध्यक्ष जिला निर्वाचन अधिकारी हैं। इनका काम जिला स्तर पर लोकल चैनल, एफएम, न्यूज पेपर और व्यक्तिगत उम्मीदवारों के विज्ञापन के सर्टिर्फिकेशन जारी करना है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट बेस्ट मीडिया और प्रिंट मीडिया में पेड न्यूज की मॉनीटरिंग करना है। 

दिशा-निर्देश नहीं दिए
हम ऑफिस में या दूसरी जगह जहां इंटरनेट कनेक्शन है, वहां से सोशल मीडिया पर नजर रख सकते हैं। चुनाव आयोग ने अभी तक हमें सोशल मीडिया पर विज्ञापन के खर्च को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। अभी सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार से संबंधित जानकारी लेकर उन्हें सूचित करना है।
बसंत कुर्रे, एडीएम, भोपाल
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