FIR यूपी में, सनाका खिंच गया एमपी में

भोपाल। यूपी में एक साथ दो दर्जन से ज्यादा आईएएस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस घटना ने एमपी में सनाका खींच दिया है। शुक्रवार को यूपी में दर्ज हुए मामलों की चर्चा शनिवार को एमपी के प्रशासनिक हलकों में दिनभर चलती रहीं।

सनद रहे कि मायाराज में हुए 5000 करोड़ से ज्यादा के मनरेगा घोटाले में लंबी ऊहापोह के बाद आखिरकार सीबीआई ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कर ली है. इस घोटाले में 24 से ज्यादा आइएएस अफसरों के अलावा कई अन्य अफसर और प्रधान जांच के दायरे में आएंगे. इन पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज रचने, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और भ्रष्टाचार की साजिश रचने का आरोप है.

हाई कोर्ट ने 31 जनवरी 2014 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. जस्टिस देवी प्रसाद सिंह व जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने पत्रकार सच्चिदानंद की पीआईएल पर यह फैसला सुनाया था. राज्य सरकार सीबीआई से जांच नहीं कराना चाहती थी. वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में थी. यूपी के सात जिलों की करीब 4800 ग्राम पंचायतों में 400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला होने की आशंका है.

यूपी में इस घटनाक्रम के बाद एमपी की प्रशासनिक गलियों का तापमान तेजी से बढ़ गया है। याद दिला दें कि मध्यप्रदेश में भी कई घोटालों में आईएएस अफसर निशाने पर हैं। या यूं कहें कि मध्यप्रदेश में एक भी घोटाला ऐसा नहीं है जिसमें आधा दर्जन आईएएस अफसरों की संलिप्तता ना हो। एक पूरा का पूरा रैकेट काम कर रहा है और कई छोटे बड़े आरटीआई एक्टिविस्ट इनके पीछे भी लगे हैं।

चर्चा का विषय केवल इतना ही रहा कि क्या एमपी में भी ऐसा हो सकता है और यदि हां तो कौन कौन से साहिबान सलाखों की ओर कदम बढ़ाएंगे।

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