भोपाल। मध्यप्रदेश के मेडीकल कॉलेजों में भर्ती के आयोजित पीएमटी घोटाले में 15 आरोपियों से जब्त पौने तीन करोड़ रुपए सरकार ने खजाने में जमा कर लिए हैं परंतु सवाल यह उठता है कि इस घोटाले के कारण प्रभावित हुए पीड़ित स्टूडेंट्स को न्याय कब और कैसे मिलेगा।
मामले की जांच कर रही पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने दो करोड़ 72 लाख 22 हजार रुपए अदालत के सामने पेश किए। अदालत ने नजारत शाखा के कर्मचारियों से यह रकम गिनवाई और इसे सरकारी खजाने में जमा कराने का आदेश दिया। यह रकम पीएमटी फर्जीवाड़े के करीब 15 आरोपियों के ठिकानों से बरामद की थी। इनमें व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के तीन अफसर अजय सेन, चंद्रकांत मिश्रा तथा नितिन महेंद्रा और एक अंतरप्रांतीय गिरोह का सरगना जगदीश सागर शामिल हैं।
कुल मिलाकर सरकार ने जब्त की गई रिश्वत की रकम अपने खजाने में जमा करवा ली। आरोपितों को भी अरेस्ट कर लिया गया। रिश्वत देने वाले और रिश्वत लेने वाले दोनों सलाखों के पीछे हैं परंतु क्या इसे न्याय कहा जाना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इस घोटाले के कारण जिन होनहान स्टूडेंट्स को पलीता लगा है उनका क्या होगा। उन्हे न्याय नहीं मिला तो इस कार्रवाई का क्या लाभ।