राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश की सरकार कृषि भूमि में विदेशी निवेश के दरवाज़े खोलने की पुरज़ोर कोशिश में लगी है| भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने इस आशय का एक प्रस्ताव भी तैयार किया है,जिसके अंतर्गत सरकार को कृषि योग्य भूमि के लिए विदेशी बाज़ार खोलने में आसानी हो|
मंत्रालय का उद्देश्य नेक नहीं जान पड़ता| देश में कृषि योग्य भूमि दिन-ब-दिन कम होता जा रही है| शहर में आवास उपलब्ध करने के नाम पर लाखों एकड़ कृषि भूमि पर सीमेंट कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये है| जिसे हम प्रगति की निशानी समझ रहे हैं, वह विनाश की घंटी बन कर बजने लगी है|
अभी विदेशी मुद्रा अधिनियम और देश की बैंकिंग व्यवस्था ने इस पर थोडा अंकुश लगा रखा है| शहरी विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को हरी झंडी मिलते ही यह बाजार पनप जायेगा और विदेशी निवेश के सहारे रातोंरात पर्यावरण के नियमों को बलाए ताक रखकर भवन तो बनेगे ही और अनाज का रकबा घटेगा अभी जो फसल संतुलन देश के विभिन्न क्षेत्रों में कायम है और बिना किसी विशेष प्रयास के संतुलित भोजन पूरे देश में उपलब्ध हो जाता है , दुर्लभ हो जायेगा| सोचना जरूरी है, सोचिये|
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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