सुबह 5 बजे से रात ढाई बजे तक चलती रही डॉ. द्विवेदी की दबंगई

भोपाल। लोकायुक्त छापे की शुरूआत से लेकर अंत तक राजस्व विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. द्विवेदी की दबंगई जारी रही। उन्होंने सुबह 5 बजे लोकायुक्त पुलिस को घर में घुसने ही नहीं दिया और रात ढाई बजे जप्ती के पेपर्स पर साइन करने से इंकार कर दिया।

हालांकि कई बार वो लॉजिकल बातें भी कर रहे थे परंतु तमतमाएं डॉ. द्विवेदी का लहजा काफी तल्ख था। उनके चेहरे पर डर के कोई भाव नहीं थे, उल्टा लोकायुक्त कार्रवाई में आए अफसरों को दिनभर फटकारते रहे। हालात यह बने कि एक बार तो एसपी लोकायुक्त भी तमतमा गए तब डॉ. द्विवेदी थोड़ा सहमे।

तुम नहीं, मिस्टर आप कहो, तुमसे 10 साल सीनियर 1987 बैच का पीएससी का अफसर हूं। इन धमकी भरे लफ्जों के साथ सर्चिंग के दौरान राजस्व विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. द्विवेदी लोकायुक्त अफसरों से संवाद कर रहे थे। निरीक्षक या डीएसपी अफसर तो छोड़िए, डॉ. द्विवेदी ने लोकायुक्त एसपी सिद्घार्थ चौधरी को भी नहीं बख्शा। हालांकि एसपी चौधरी ने भी उन्हें मर्यादा का पाठ पढ़ाने में देर नहीं की और ठीक से डपट डाला। गौरतलब है कि गुरुवार को राजस्व विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. द्विवेदी के घर पर लोकायुक्त का छापा पड़ा था।

सोफा 500, सागौन का शोकेस 200 का

डॉ. द्विवेदी के आलीशान बंगले में मौजूद लग्जरी और महंगे फर्नीचर, बेशकीमती सामान की सूची बनाने के लिए लोकायुक्त की टीम ने द्विवेदी से कीमत जाननी चाही। जिस पर उन्होंने हजारों रुपए की कीमत के लेदर के लग्जरी सोफे 500 रुपए और सागौन का विशालकाय शोकेज को 200 में पांच साल पहले खरीदना बताया।

आधी रात में साइन करने से किया इंकार

देर रात कार्रवाई के बाद जब्ती के दस्तावेज, बिल और कागजातों पर डॉ. द्विवेदी ने हस्ताक्षर करने से यह कहकर इंकार कर दिया कि बगैर देखे साइन नहीं करूंगा। पहले दस्तावेजों की फोटो कॉपी दो, वर्ना जब्ती का सामान ले जाने पर सब पर लूट और डकैती का केस दर्ज करवा दूंगा। डॉ. द्विवेदी का दावा लॉजिकल था। हर व्यक्ति को अधिकार है कि वो साइन करने से पहले संबंधित कागजात को ठीक प्रकार से देखे, पढ़े और सहमत हो तब ही साइन करे एवं चाहे तो उसकी फोटोकॉपी भी मांग सकता है।

लेकिन रात ढाई बजे उलझन में फंसे लोकायुक्त अफसर अजीब स्थिति में पड़ गए, क्योंकि दस्तावेजों के पन्नों की तादाद हजारों में थी और इतनी रात में फोटो कापी कहां से कराएं? आखिरकार लोकायुक्त अफसरों ने पुलिसिया स्टाइल अपनाई। दवाब में आए डॉ. द्विवेदी अपने बेटे को पार्टनर बताते हुए उसके हस्ताक्षर कराने को राजी हो गए। काफी बहस के बाद उन्होंने भी हस्ताक्षर कर दिए।

पूछा कौन... और गेट बंद कर दिए

डॉ. द्विवेदी का अफसरान रवैया लोकायुक्त कार्रवाई की शुरुआत से ही बना रहा। सुबह 5 बजे लोकायुक्त टीम दबिश देने पहुंची। अफसरों ने दरवाजे की घंटी बजाई, तो डॉ. द्विवेदी ने अंदर से पूछा कौन? लोकायुक्त अफसरों के परिचय देने पर उन्होंने गेट बंद कर लिया। करीब 15 मिनट की मशक्कत के बाद लोकायुक्त अफसर गेट खुलवा पाए।

दरवाजे पर भी कायम रहा रुतबा

दरवाजा खोलने के बाद भी डॉ. द्विवेदी का रूतबा बरकरार रहा। अफसरों वाले अंदाज में पहले उन्होंने लोकायुक्त टीम से एफआईआर व सर्चिंग वारंट दिखाने को कहा। बकायदा दरवाजे पर खडेÞ होकर पहले डॉ. द्विवेदी ने अपने खिलाफ एफआईआर व सर्चिंग वारंट की तμतीश की। बमुश्क्लि फाइल छीनकर लोकायुक्त अफसर घर में घूस पाए।

सबको कोर्ट में घसीट लूंगा

सूचना मिलने के बाद पहुंचे मीडियाकर्मियों को देख डॉ. द्विवेदी ने लोकायुक्त पुलिस अफसरों को आडे हाथ लिया। द्विवेदी ने कहा कि मेरी पब्लिसिटी के लिए मीडिया बुलाई है क्या। खुलेआम सबको कोर्ट में देख लेने की धमकी देते हुए जमकर​ चिल्लाए।


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