कौन कौन है ​द्विवेदी के पार्टटाइम पार्टनर्स

उपदेश अवस्थी/भोपाल। इस सप्ताह आयकर और लोकायुक्त के छापे तो कई जगह पड़े परंतु मध्यप्रदेश का हॉटकेक हैं राजस्व विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. रविकांत द्विवेदी। उनकी कई पर्तें खुल रहीं हैं परंतु सवाल यह भी है कि क्या डॉ. रविकांत द्विवेदी के पार्टटाइम पार्टनस के नामों का भी खुलासा हो पाएगा।

लोकायुक्त छापे के बाद लाइमलाइट में आए डॉ. रविकांत द्विवेदी कोई रातोंरात करोड़पति नहीं हो गए और ना ही उन्होंने इसी महीने में सारे धंधे स्थापित किए। यह एक बहुत लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है। कालीकमाई और फिर कारोबार और कारोबार को चलाने के लिए पद का दुरुपयोग। ना जाने क्या क्या हुआ। खुलासे होते जा रहे हैं और अभी कई सारे होने बाकी हैं।

यहां चौंकाने वाली बात यह नहीं है कि डॉ. रविकांत द्विवेदी कितने करोड़ के आसामी हो गए और उनके धंधे कहां कहां स्थापित हैं। क्या अपने वेतन भत्तों से कोई इतना सबकुछ जुटा सकता है परंतु गंभीर सवाल तो यह है कि वो कौन कौन लोग हैं जिन्होंने शुरूआत से लेकर 28 जनवरी तक डॉ. रविकांत द्विवेदी का साथ निभाया और उनके कामों पर पर्दा बनाए रखा।

सन् 2009 में ही विधानसभा में डॉ. रविकांत द्विवेदी के खिलाफ सवाल उठा था। मंत्री ने इस मामले को संज्ञान भी लिया और कार्रवाई के लिखित आदेश भी जारी हुए परंतु कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा सेंकड़ों शिकायतें हैं जिन पर या तो जांच ही नहीं हुई या फिर कार्रवाई नहीं हुई।

सवाल यह है कि वो कौन कौन से नेता और अफसर हैं जिन्होंने डॉ. रविकांत द्विवेदी को संरक्षण दिया। क्या मंत्री के लिखित आदेश के बाद भी कोई अफसर किसी कार्रवाई को रोक सकता है। यदि वो रोक भी दे तो क्या मंत्री चुप रहेंगे और तीसरी मुख्य बात यह कि जब मंत्री के आदेश पर भी कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला दूसरी बार विधानसभा में क्यों नहीं उठा।

क्या कांग्रेस, क्या भाजपा, क्या सरकार और क्या प्रशासन सब के सब डॉ. रविकांत द्विवेदी को सहयोग क्यों दे रहे थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि तमाम जिम्मेदार जिनके हाथों में चाबुक थे, डॉ. रविकांत द्विवेदी के पार्टटाइम पार्टनर बन गए थे। क्यों ना यह खुला आरोप लगा दिया जाए कि इस कालेकारोबार में सभी का शेयर फिक्स हो गया था और इसी के चलते डॉ. रविकांत द्विवेदी के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यदि माननीय मुख्यमंत्री महोदय यह प्रमाणित करना चाहते हैं कि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लडाई का हिस्सा हैं तो क्या उन्हें उन तमाम अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिन्होंने डॉ. रविकांत द्विवेदी की शिकायतों को दबाया या मंत्री के आदेश का पालन भी नहीं किया और क्या उस मंत्री की नियत पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए जिसने आदेश देने के बाद भी अपने आदेश का पालन नहीं होेने पर एक अदद रिमाइंडर तक नहीं डाला।

सबसे बड़ा सवाल यही है, यदि जवाब मिल गया तो कम से कम मध्यप्रदेश के कालेकारोबारियों का ​एक गिरोह तो बेनकाब हो जाएगा।

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