भोपाल। तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान अब अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता से बनवाएंगे। इसमें भ्रष्टाचार से लेकर सात प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में फीडबैक लिया जाएगा।
यह काम देश की किसी प्रख्यात सर्वे एजेंसी से कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने राज्य योजना आयोग को अध्ययन कराने की हरी झंडी दे दी है। यह पहला मौका है जब सरकार के मुखिया ने योजनाओं का अध्ययन करने के आदेश दिए हैं।
राज्य योजना आयोग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार का मकसद यह जानना है कि हजारों करोड़ की योजनाओं से जनता संतुष्ट है या नहीं।
आयोग के मातहत काम कर रही गरीब अनुश्रवण एवं नीति सहायता इकाई [पीएमपीएसयू] ने करीब छह माह पूर्व गवर्निग बॉडी में इस प्रोजेक्ट को एप्रूव किया था। आयोग ने अध्ययन के लिए एजेंसियों को बुलाने से पहले मुख्यमंत्री से हरी झंडी मांगी थी। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक में ऐलान कर दिया कि उन्होंने आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह अध्ययन कराकर सेवाओं के बारे में फीडबैक जुटाए।
सूत्रों के मुताबिक दो-तीन में विज्ञापन जारी कर एजेंसियों को अध्ययन करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। अध्ययन को प्रमाणिक बनाने के लिए गांव, कस्बा, जिला, संभाग और शहरी क्षेत्रों में सर्वे कराया जाएगा। अक्टूबर अंत तक अध्ययन के नतीजे आने की उम्मीद जताई जा रही है।
बिहार ने भी किया था प्रयोग
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा प्रयोग बिहार की नीतिश कुमार सरकार ने भी किया था लेकिन नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए। बताया जा रहा है कि प्रदेश में होने वाले सर्वे से भी चौकाने वाले नतीजे सामने आ सकते हैं। यही वजह है कि इसे तब तक सार्वजनिक नहीं किया जाएगा जब तक कि इसका प्रस्तुतिकरण सरकार के सामने नहीं हो जाएगा।
ये लगाएंगे पता
-- योजनाओं के प्रति संतोष का स्तर
-- रैंकिंग
-- सर्विस किस तरह की मिल रही है
-- सेवा प्राप्त करने पैसों की मांग होती है?
-- सेवाएं देने में कर्मचारी दक्ष हैं या नहीं
अध्ययन के दायरे में योजनाएं
--सार्वजनिक वितरण प्रणाली
-- एकीकृत बाल विकास योजना
-- हेल्थ केयर
-- मनरेगा
-- सामाजिक सुरक्षा पेंशन
-- शिकायत निवारण सिस्टम
-- प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल सेवा।