भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा ने हैट्रिक मारी है, तो राजधानी में छक्का! हालांकि सातवीं उत्तर ने उसे फिर निरुत्तर कर दिया। आरिफ वर्सेज आरिफ की द्वंद्व में फिर से कांग्रेसी आरिफ विनर साबित हुए। कह सकते हैं कि भाजपा ने यहां से अल्पसंख्यक खेल खेला था, लेकिन सांप-सीढ़ी के खेल-सी इस सीट पर भाजपा आखिरी पड़ाव में मात खाकर खेल से बाहर हो गई।
उधर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में गृहमंत्री उमाशंकर के लिए इस बार का मैच बेहद टफ था, लेकिन उन्होंने कांग्रेस को यहां से संजीव के जरिये संजीवनी बूटी का लाभ नहीं लेना दिया। भाजपा ने जब उन्हें मैदान में उतारने का साहस किया था, तब टीम के अंदर से ही विरोध की बू आने लगी थी, लेकिन उमाशंकर गुप्ता ने शंकरजी की कृपा से सारा गरल पी लिया और अपने स्वभाव पर काबू करते हुए वोटरों का मन जीत लिया।
गोविंदपुरा से कांग्रेस ने गोविंद गोयल को मैदान में भेजा था, लेकिन 30 हजार रन भी नहीं ठोंक पाए, जबकि उम्रदराज बाबूलाल गौर पौन शतक मारकर जीत का ऐतिहासिक रिकार्ड बनाने में सफल रहे।
नरेला से विश्वास सारंग फिर से वोटरों को विश्वास जीतने में सफल रहे। सुनील सूद दुबारा यहां से उदासी लिए कूच कर गए। विश्वास सारंग की जीत के पीछे युवाओं की फौज और नेटवर्क बेहद काम आया।
हुजूर में रामेश्वर शर्मा ने गजब परफार्मेंस दिखाया। हालांकि उम्मीद तो ऐसी ही थी, लेकिन वे 50 हजार से अधिक वोटों से जीतेंगे, ऐसा तो शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा! उनके निकटतम खिलाड़ी कांग्रेस के राजेंद्र मंडलोई अर्धशतक भी पूरा नहीं कर पाए।
बैरसिया में कांग्रेस के महेश रत्नाकर पार्टी के लिए रत्न साबित नहीं हो पाए। खेले तगड़े 45 हजार से अधिक रन(वोट) ठोंके, लेकिन भाजपा के विष्णु खत्री की गुगली के आगे वे फेल हो गए। यहां से खत्री को 71 हजार से अधिक वोट मिले।
उधर, मध्य में कांग्रेस के आरिफ मसूद ने शुरुआती रुझान में खूब गदर मचाई, यूं लगा, मानो कांग्रेस यहां से जीतकर ही घर पहुंचेगी, लेकिन सुरेंद्रनाथ सिंह कछुआ चाल से आगे बढ़ते रहे और 7 हजार से अधिक वोटों से दौड़ जीत लिए।