गलतफहमी है कि बीजेपी ने दिया, और ये भी गलतफहमी है कि काँग्रेस देगी

सुरेन्द्र कुमार पटेल (अध्यापक). काँग्रेस के राज में 1998 में चौथा वेतनमान मिला था। जबकि सरकारी कर्मचारियों को पाँचवा मिला। ये IAS की सोच थी। वर्ष 2003 के चुनाव में काँग्रेस हार गई। बीजेपी जीत गई और उसने घोषणापत्र में कहा था कि वह शिक्षाकर्मियों को समान कार्य का समान वेतन देगी।

2004, 2005, 2006 पूरे तीन साल बीजेपी ने कुछ नहीं किया। सिवाय इसके कि टुकड़ों में DA दिया। अप्रैल 2007में शिक्षाविभाग में संविलियन के बजाय अध्यापक संवर्ग का नया कैडर बनाया और पूर्व की सेवा अवधि को शून्य घोषित कर दिया। उदाहरण AEO की भर्ती।

अध्यापक संवर्ग का वेतनमान शिक्षक संवर्ग के वेतनमान क्रमश: 4000,5000,5500 के सापेक्ष 3000,4000,5000 दिया ।1000रुपए की चोरी इसी बीजेपी सरकार ने की ।साथ ही नियमित कर्मचारियों का 50% DA मूलवेतन में मर्ज करने पर नियमित कर्मचारियों का वेतन क्रमश: 6000,7500और 8250हो गया ।आप देखेंगे कि अध्यापक संवर्ग का मूल वेतन नियमित कर्मचारियों का आधा हो गया ।मँहगाई के साथ गणना करें तो आधा से भी कम हो गया । और यह 2007-08 में बीजेपी के शासन में हुआ । 2008में छठवें वेतन की प्रत्याशा में अन्य कर्मचारियों को 20%अंतरिम राहत मिली जबकि अध्यापकों को एकमुश्त राशि ।जो बाद में DA के रूप में मर्ज हो गया । अन्य कर्मचारियों को छठा वेतन मिल गया परन्तु अध्यापकों को छठे वेतन के रूप में मिला सिर्फ 15%DA. यह भी बीजेपी के शासन काल में हुआ । नियमित कर्मचारियों को छठवाँ वेतन की गणना में पाँचवें वेतन का 1.86 का गुणांक लगाया गया था , और ये खबर प्रकाश में आयी कि अध्यापकों का डीए नियमित कर्मचारियों की तुलना में 1.86 गुना दिया जाएगा ।पर इसी वक्त 2010में अंशदायी पेंशन योजना के अमल में आने से यह गुणांक 1.62 कर दिया गया ।जो 10% अंशदायी राशि सरकार देने का दावा करती है , वह 1.86 और 1.62 के गुणांक के अन्तर से भी कम है । यह भी बीजेपी सरकार में हुआ । भारी दबाव में 21फर2013के ऑर्डर से अनमने कुछ लाभ दिया जो 2006या 2008 में दिये जाने वाले छठे वेतन का एक टुकड़ा था ।जब सरकार ने सभी को 1.86 के गुणांक से वेतनबैण्ड निर्धारित किया तब मात्र अध्यापक और सचिवों के लिए 1.62का गुणांक क्यों लगाया ? और वेतनबैण्ड इस प्रकार निर्धारित किया कि जहाँ वर्ग 1 का पिछला मूलवेतन 5000था उसका प्रारंभिक 4500 कर दिया (4500-25000) ।जबकि नियमत: पिछले न्यूनतम मूलवेतन में गुणांक (1.86 के हिसाब से 9300और 1.62के हिसाब से 8100) होना चाहिए था ।मगर प्रारंभिक वेतन निर्धारित हुआ 4500 जो वर्ग 3 के पिछले न्यूनतम 3000के 1.62गुणांक4860 से भी कम है । स्पष्ट है कि अगला(सातवाँ) वेतन इसी के अनुरूप चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम वर्ग 1 का फिक्स होगा । यह सब बीजेपी सरकार में 2013 में हुआ । अंतरिम राहत की गणना में 1.86का गुणांक क्रमश: शिक्षक के अनुरूप नही लगाया गया । मात्र वर्तमान अंतर को5 साल में किश्तों में देने का आदेश हुआ जिसमें सिर्फ प्रथम किश्त के भुगतान की स्वीकृति दी गई । एक भृत्य का पे बैण्ड 4460 से प्रारंभ है और आपका 4500 से वर्ग 1 ,2, 3 तीनों का । 2006का छठा वेतन2017में मिलेगा , यह भी चुनावी घोषणापत्र जैसा है क्योंकि प्रथमकिश्त के भुगतान के सिवा अन्य किसी किश्त या समायोजन की स्वीकृति नहीं है । यह किसने किया? IASने और हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने हमारी उपेक्षा करते हुए हो जाने दिया ।सरकार किसकी बनेगी ये अभी दूर की कौड़ी है परन्तु अगर काँग्रेस की बनी तो क्या वह हमें IAS की इस कुटिल चाल से बचा पाएगी ??"

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