भोपाल। आईएएस अफसर डॉ. राजेश राजौरा के घर पांच साल पहले मारे गए छापे के मामले में आयकर विभाग को तीन महीने में दूसरा झटका लगा है। आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल ने डॉ. राजौरा को 1 करोड़ 60 लाख रुपए टैक्स जमा करने के लिए आयकर विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस को रद्द कर दिया है।
ट्रिब्यूनल की इंदौर ब्रांच के न्यायिक सदस्य जोगिंदर सिंह और सदस्य लेखा आरसी शर्मा ने अपने फैसले में कहा है कि डॉ. राजौरा पर गलत तरीके से टैक्स आरोपित किया गया है। चंूकि मप्र हाईकोर्ट कुछ समय पहले छापे की पूरी कार्रवाई को रद्द कर चुका है, इसलिए अब इस मामले को आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं है।
इधर, दोनों फैसलों के आधार पर राज्य सरकार ने डॉ. राजौरा के खिलाफ चल रही जांच को समाप्त कर निलंबन अवधि (33 माह) में रोके गए वेतन-भत्ते देने का निर्णय लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई के बाद तैयार एप्रेजल रिपोर्ट के आधार पर टैक्स असेसमेंट (कर निर्धारण) कर डॉ. राजौरा को 1 करोड़ 60 लाख रुपए टैक्स जमा करने का नोटिस जारी किया था।
इसके बाद डॉ. राजौरा अपील में गए। आयकर आयुक्त (अपील) ने टैक्स डिमांड के मामले में उन्हें राहत नहीं दी। लिहाजा डॉ. राजौरा इस आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल में गए थे। सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखते हुए निवेदन किया था कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष पुनरीक्षण याचिका (स्पेशल लीव पिटीशन) दायर की जा रही है, लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस आधार को खारिज करते हुए 27 अगस्त को अपना फैसला सुना दिया।
हाईकोर्ट में अपील करेंगे
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। हालांकि आयकर विभाग ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष पुनरीक्षण याचिका दायर नहीं की है, जबकि डॉ. राजौरा 12 जुलाई को केविएट दायर कर चुके हैं। डॉ राजौरा इस समय मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सचिव पद पर पदस्थ हैं।
प्रमोशन का रास्ता साफ
ट्रिब्यूनल का फैसला आने के बाद डॉ. राजौरा के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल के फैसले के आधार पर डॉ. राजौरा के खिलाफ विभागीय जांच समाप्त करने के निर्देश दिए। बता दें कि 1990 बैच के आईएएस अफसरों को प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत करने के लिए डीपीसी इसी साल होना है। जिसकी प्रक्रिया सामान्य प्रशासन विभाग ने शुरू कर दी है।
हाईकोर्ट ने कहा था
हाईकोर्ट ने 27 जून 2013 को दिए अपने फैसले में आयकर विभाग के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा है - ऐसा लगता है कि तत्कालीन महानिदेशक इन्वेस्टिगेशन एसएस राणा को बंगला आवंटित नहीं किया तो आयकर विभाग ने आईएएस अफसर डॉ राजौरा (वर्तमान में सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) के घर पर छापा मारा।
हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश केके लाहोटी और न्यायाधीश एमके सिद्दिकी की संयुक्त बैंच ने माना कि जिन दस्तावेजों के आधार पर यह कार्रवाई की गई, उसमें डॉ. राजौरा के खिलाफ भ्रष्टाचार अथवा लेन-देन के सबूत प्रमाणित नहीं होते हैं। आयकर विभाग ने वर्ष 2007 में तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा के ठिकानों पर मारे गए छापे में बरामद दस्तावेजों के आधार पर 30 मई 2008 को डॉ. राजौरा के घर छापा मारा था।