अब तलाकशुदा और अवैध पत्नियों के बच्चों को भी मिल सकती है फैमिली पेंशन

ऐसे मामलों में जहां मृतक सेवारत या पेंशनधारी अधिकारी की विधवा पत्नी के अतिरिक्त उसकी तलाकशुदा पत्नी या अवैध तरीके से विवाहित पत्नी या पत्नियां हैं, उनके योग्य बच्चे भी फैमिली पेंशन के लिए अधिकृत होंगे और वे भी उस पेंशन में हिस्सेदार होंगी जो कि उस मृतक अधिकारी या पेंशनधारी की गैर तलाकशुदा या वैध तरीके से विवाहित पत्नी को प्राप्त होगी।

पेंशन के मामले में केंद्र सरकार ने एक अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाने का संकेत दिया है। केंद्र सरकार की ओर प्रस्तावित नए पेंशन नियमों में अखिल भारतीय सेवा के दिवंगत अधिकारियों की तलाकशुदा पत्नियों या अवैध तरीके से विवाहित पत्नियों से पैदा हुए बच्चों को भी फैमिली पेंशन के अंतर्गत शामिल किए जाने का प्रावधान किया गया है।

नए नियमों के अनुसार,'ऐसे मामलों में जहां मृतक सेवारत या पेंशनधारी अधिकारी की विधवा पत्नी के अतिरिक्त उसकी तलाकशुदा पत्नी या अवैध तरीके से विवाहित पत्नी या पत्नियां हैं, उनके योग्य बच्चे भी फैमिली पेंशन के लिए अधिकृत होंगे और वे भी उस पेंशन में हिस्सेदार होंगी जो कि उस मृतक अधिकारी या पेंशनधारी की गैर तलाकशुदा या वैध तरीके से विवाहित पत्नी को प्राप्त होगी।' अखिल भारतीय सेवाओं में आईएएस, आईपीएस और भारतीय विदेश सेवा को सम्मिलित किया जाता है।

पहले किसी सरकारी अधिकारी की वैध तरीके से विवाहित पत्नी के अतिरिक्त किसी से पैदा हुए बच्चे को पेंशन का अधिकारी नहीं माना जाता था और वैध विवाहित पत्नी ही हर प्रकार के पोस्ट-रिटायरमेंट लाभ की हकदार होती थी। संशोधित अखिल भारतीय सेवा (डेथ-कम-रिटायरमेंट बेनीफिट) नियम, 1958 में तहत मृतक अधिकारी की एक से अधिक विधवाओं को भी पेंशन में बराबर का हिस्सेदार बनाया गया है।

नियमों में अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद उसकी शादी और परिवार के सदस्यों की पहचान करने के लिए एक प्रावधान बनाया गया है और इसके तहत अधिकारी की मृत्यु के बाद हर सदस्य को पेंशन के लिए योग्य माना जाएगा।
नियमों में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी की मानसिक रूप से अपरिपक्व संतान को मौद्रिक सहायता का प्रावधान भी किया गया है।

नियमों के अनुसार,'सेवारत अधिकारी का कोई पुत्र या पुत्री मंद बुद्धि समेत किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी या अक्षमता से पीडि़त है या शारीरिक रूप से ऐसी अक्षमता से ग्रसित है कि वह 25 वर्ष की उम्र को पाने के बाद भी अपने लिए जीविका कमाने में सक्षम नहीं हो सकते, इस स्थिति में उन्हें जीवन पर्यन्त फैमिली पेंशन प्रदान की जाएगी।'

नियम में आगे स्पष्ट किया गया है कि यदि इस प्रकार की शारीरिक या मानसिक अक्षमता से पीडि़त संतानों की संख्या एक से अधिक है तो उन्हें उनके जन्म के क्रम में फैमिली पेंशन प्रदान की जाएगी। छोटी संतान को पेंशन उसी आधार पर प्राप्त होगी जब कि उससे बड़ी संतान इस पेंशन के लिए अयोग्य हो जाए।

नए नियमों के अनुसार उस स्थिति में कि अगर पति और पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हों, तब सेवा के दौरान या रिटायरमेंट के बाद उनमें से किसी एक की मृत्यु होने पर दूसरे को फैमिली पेंशन का अधिकारी माना जाएगा और दोनों के मृत्यु के बाद आश्रित बच्चे या बच्चों को दोहरी फैमिली पेंशन प्रदान की जाएगी।

इसके अतिरिक्त रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों के लिए 80 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान भी किया गया है।

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