फर्जी डाक्यूमेंट से एमबीबीएस में एडमिशन लेने आया स्टूडेंट मॉं समेत फरार

ग्वालियर। गजराराजा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में फर्जी दस्तावेज के जरिए प्रवेश लेने आया छात्र अधिकारियों के संदेह होने पर भाग निकला। बठिंडा निवासी उक्त छात्र उत्तर पूर्व राज्य के विशेष कोटे के तहत प्रवेश लेना चाहता था।

उसने एमसीआई व डीन का पत्र सौंपा। पत्र देख डीन को संदेह हुआ। इसी दौरान छात्र स्थिति को भांप गया और मां सहित ऑटो से भाग निकला। कॉलेज प्रशासन छात्र के दस्तावेज झांसी रोड थाना पुलिस को भेजेगा।

जीआरएमसी में दोपहर साढ़े बारह बजे भटिंडा से नवरीत सिंह पुत्र संतोख सिंह नामक युवक एमबीबीएस में प्रवेश लेने पहुंचा। इसके पास मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के पत्र के साथ-साथ जीआरएमसी डीन के भी पत्र थे। दोनों पत्र छात्र को संबोधित हैं।

एमसीआई के 13 अगस्त के पत्र में लिखा है, मप्र सरकार के पत्र के संदर्भ में सूचित किया जाता है कि नवरीत सिंह पुत्र संतोख सिंह को जीआरएमसी में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। डीन के पत्र में इसे सरकार द्वारा नॉमिनी कैटेगरी के तहत एमबीबीएस में प्रवेश दिए जाने तथा 22 अगस्त को डीन के समक्ष प्रस्तुत होने को कहा गया है।

पत्र में डीन के साथ ही जीवाजी यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर व सील लगी है। पत्र देखकर डीन को संदेह हुआ। उन्होंने प्रवेश का कार्य देख रही डॉ. रंजना तिवारी और डॉ. संजीव सिंह को बुलाकर छात्र को बातों के बहाने रोके रखने को कहा। इस दौरान नवरीत और उसकी मां को पकड़े जाने का आभास हुआ तो वह वहां से भाग निकले। कॉलेज के अधिकारी उनके पीछे भागे लेकिन वे ऑटो में बैठकर गायब हो गए।

दस्तावेज पूरी तरह फर्जी हैं
फर्जी दस्तावेज लेकर भटिंडा से अपनी मां के साथ आया नवरीत सिंह नामक छात्र मौके का फायदा उठाकर भाग निकला। छात्र के दस्तावेज की जांच कर ली है। वे पूरी तरह फर्जी हैं। इस मामले से झांसी रोड थाना पुलिस को अवगत कराते हुए दस्तावेज उन्हें सौंप दिए जाएंगे।
डॉ.जीएस पटेल, डीन, जीआरएमसी

एमसीआई सीधा कभी नहीं लिखती पत्र

प्रत्येक शासकीय मेडिकल कॉलेज में छह सीटें केंद्र सरकार द्वारा नॉमिनी छात्रों के लिए आरक्षित होती हैं। इन सीटों पर पूवरेत्तर राज्यों के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। छात्र को किस कॉलेज में प्रवेश मिला, इसकी जानकारी उस राज्य की सरकार छात्र को देती है तथा संबंधित कॉलेज को भी पत्र लिखती है। एक पत्र संबंधित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लिखता है। एमआईसी कभी छात्र को प्रवेश देने के लिए पत्र नहीं लिखती है। छात्र से यहीं चूक हो गई। उसने एमसीआई का पत्र पेश किया जिससे डीन को संदेह हो गया। इसके अलावा डीन के पत्र में जेयू रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर व सील लगी थी जबकि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का रजिस्ट्रार से कोई मतलब ही नहीं रहता।

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