मंदसौर में 1940 में प्रकट हुए थे अष्टमुखी श्री पशुपतिनाथ महादेव

जगदीश सिसोदिया/मंदसौर। मध्यप्रदेश के मालवाचंल का प्राचीन नगर दशपुर (वर्तमान मे मंदसौर) ऎताहासिक एवं पुरातत्विक द्रष्टिकोण से भारत के अन्य प्राचीन नगरों उज्जैन, महेश्वर, ओकारेश्वर के समान अपना स्वतंत्र एवं महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मंदसौर नगर का प्रमुख आकर्षण यहाँ स्थित भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव का विश्वप्रसिद्द मंदिर है।

यह मंदिर यहाँ बहने वाली शिवना नदी के किनारे स्थित है,इस मंदिर मे भगवान पशुपतिनाथ की 46 क्विंटल वजन, साढे 7फीट उँचाई एवं 11फीट गोलाई की विशाल अष्टमुखी प्रतिमा स्थापित है।

यह विशाल प्रतिमा विक्रम संवत 1997 दिनांक 10 जून 1940 को यही बहने वाली शिवना नदी मे से प्रगट हुई है।अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा मे चार मुख उपर वाले भाग मे तथा चार नीचे के भाग मे है, उपर के चारों मुख स्पष्ट, परिष्क्रत एवं अत्यधिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, जबकि नीचे के चार मुख इतने स्पष्ट नही है। चारों दिशाओ मे मंदिर के चार द्वार है एवं प्रत्येक द्वार के सम्मुख अष्टमुखी भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव के भिन्न- भिन्न मुखो के दर्शन होते है।

भगवान पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन करने दुर-दुर से श्रद्दालु आते है। श्रावणमास भक्तो का तांता लग जाता है।भगवान पशुपतिनाथ महादेव को नाना प्रकार के पुष्पो से श्रंगार किया जाता है। इस मनमोहक श्रंगार को देखने भक्तगण उमड जाते है।


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