भोपाल। भोपाल समेत इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर में प्रदेश सरकार ने कलेक्टर गाइडलाइन (जमीन का सरकारी मूल्य) में बिना डायवर्सन वाली कृषि भूमि में किया गया डेढ़ गुना का इजाफा वापस ले लिया है।
सरकार ने अपनी गलती सुधारते हुए कलेक्टर गाइडलाइन के उपबंध में संशोधन कर कृषि जमीन के तय मूल्यों को ही मंगलवार से लागू कर दिया। इससे शहरी क्षेत्र में जमीन पर लगने वाले रजिस्ट्री शुल्क और डायवर्सन शुल्क में 40 से 50 फीसदी तक की कमी आएगी। हालांकि, डायवर्सन वाली कृषि जमीन के मूल्यों में बदलाव नहीं किया गया है।
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा एक अप्रैल 2013 से लागू की गई कलेक्टर गाइडलाइन के उपबंध में यह प्रावधान किया गया था। बड़े शहरों के निवेश क्षेत्र में सिंचित कृषि जमीन की कीमत को डेढ़ गुना कर आकलन किया जाए। इस वजह से पंजीयन कार्यालय गाइडलाइन में जमीन के बताए गए दाम को डेढ़ गुना कर, उसी हिसाब से रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क वसूलने लगा था। डेवलपर्स की एसोसिएशन क्रेडाई ने इसका विरोध किया।
दैनिक भास्कर द्वारा हाल ही में आयोजित रियल स्टेट कॉन्क्लेव में क्रेडाई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस वृद्धि को आवास नीति के विरुद्ध बताते हुए वापस लेने की मांग भी की थी। क्रेडाई का कहना था कि इससे लोगों पर अतिरिक्त टैक्स का भार डाल दिया गया है, जिससे आम आदमी के आशियाने का सपना महंगा हो गया है। इसे देखते हुए बोर्ड ने अपना फैसला वापस लेते हुए गाइडलाइन से डेढ़ गुना वाले उपबंध को हटा दिया। वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर ने बताया कि सरकार का नया आदेश मिल गया है, जिसे मंगलवार से ही लागू कर दिया गया है।
वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर ने बताया कि सरकार का नया आदेश मिल गया है, जिसे मंगलवार से ही लागू कर दिया गया है। राजस्व बढ़ाने के लिए अफसरों ने यह दांव खेला था, जो उलटा पड़ा। उपबंध बनाने वालों ने यह मान लिया था कि प्रदेश के मेट्रो शहरों में किसान हैं ही नहीं। यहां सभी बिल्डर हैं, जो खेती की जमीन मल्टी या टाउनशिप बनाने के लिए ही खरीद या बेच रहे हैं।
यह थी गड़बड़ी
कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति ने प्रॉपर्टी के दामों का मूल्यांकन कर जमीन की कीमतों में अलग-अलग इलाकों में 50 से 100 फीसदी का इजाफा किया था। इसी को केंद्रीय मूल्यांकन समिति ने स्वीकृति दी और यही दाम गाइडलाइन में प्रकाशित हुए, लेकिन साथ ही उपबंध में इसे डेढ़ गुना करने का भी प्रावधान कर दिया। यानी कीमतें दो स्तरों पर बढ़ा दी गईं और कुल इजाफा तीन गुना तक पहुंच गया।
अब ये होगा
बिना डायवर्सन वाली कृषि जमीन की खरीदी-बिक्री पर आवासीय भूखंड की दर (1000, 500 या 300 वर्गमीटर पर सूची में शामिल गांव के अनुसार) और उससे अधिक पर गाइडलाइन में सिंचित खेती की जमीन का मूल्य लगेगा। केवल डायवर्सन वाली जमीन की खरीदी- बिक्री पर एक हजार (सूची के अनुसार 500 या 300) वर्गमीटर तक आवासीय भूखंड की दर व इससे अधिक पर सिंचित कृषि जमीन के तय मूल्य का डेढ़ गुना लगेगा।
ये होगा फायदा
गाइडलाइन में मिसरोद क्षेत्र के लिए कृषि जमीन के दाम साढ़े चार करोड़ रु. प्रति हेक्टेयर तय किए गए हैं। अभी उपबंध के कारण इसकी कीमत डेढ़ गुना यानी 6 करोड़ 75 लाख रु. मानी जा रही थी। इसके कारण यहां स्टाम्प शुल्क प्रति वर्गफीट पर 51.76 रुपए व 75.28 रु. डायवर्सन शुल्क और भूभाटक लग रहा था। अब फैसला वापस लेने से स्टाम्प शुल्क 34.50 रु. और 50.19 रु. डायवर्सन शुल्क लगेगा। यानी कुल शुल्क में प्रति वर्गफीट 42 रु. की कमी हुई है।