प्रदीप गौर। शिक्षक भाइयों आने वाला समय हमारे लिए एवं हमारी आजीविका के लिए संकट का समय है जैसा की आप जानते है सरकार का पूरा प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में निजी करण को बढावा देने का है और कुछ हद तक हम भी इन प्रयासों में सरकार की मदद कर रहे है.
आज हमारे स्कूलों की व्यवस्था तो सरकार ने सुधार दी है पर असली व्यवस्था जिससे स्कूल का नाम चलता है वह है पढाई जिसमे असली सुधार के बिना हमारे अस्तित्व को बचाकर रखना लगभग नामुमकिन है क्योंकि 25 प्रतिशत भी बहुत होता है अगर हम आज भी नहीं जागे तो जो देर हुई है वह अंधेर में बदल जाएगी और इस संसार में हम गुरुजनों को अपनी ही दुर्दशा को देखने के लिए तैयार रहना होगा हालाँकि मै जो बात कह रहा हूँ वह प्रत्येक शिक्षक अपने मन मै महसूस करता है पर केवल महसूस करने से नहीं इसे अपनी जिन्दगी का लक्षय बनाकर और पूरे मनोयोग से स्कूल के बच्चों के शैक्षणिक स्तर में असली सुधार लाने के लिए जुटना होगा और दिखाना होगा की सरकारी शिक्षक कंही से कमतर नहीं है हमें वेसिक पढाई पर ध्यान देना है हमारी जीविका को बचाने यही एक तरीका बचा है बरना कम होती दर्ज संख्या हमारे लिए खतरे की घंटी निरंतर बजा रही है.
प्रदीप गौर
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