लठैतों के शहर में फेसबुक पर मिलते हैं कलेक्टर, सुनते हैं शिकायतें

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भोपाल। मध्यप्रदेश में ग्वालियर और चंबल संभाग को लठैतों का इलाका माना जाता है। इन्दौर से खड़े होकर यदि देखें तो ग्वालियर और चंबल के लोगों से ज्यादा पिछड़े पूरे मध्यप्रदेश में नहीं मिलते, लेकिन एक कलेक्टर ने इस शहर को मध्यप्रदेश का सबसे शानदार शहर बना दिया। यहां फेसबुक पर कलेक्टर शिकायतें सुनते हैं और निराकरण भी होता है। लोग भी फेसबुक पर शिकायतें करना पसंद करते हैं। 

ग्वालियर के कलेक्टर पी नर​हरि ने जब ग्वालियर में फेसबुक पेज की शुरूआत की होगी, तब शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि ग्वालियर जैसे शहर में उन्हें ऐसा रिस्पोंस मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ। यदि कलेक्टर एक कदम आगे बढ़े तो ग्वालियर ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया और लगभग 1500 शिकायतें थमा डालीं। कलेक्टर नरहरि ने भी 90 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण कर दिया। 

फेसबुक पर पब्लिक और प्रशासन का यह संगम निश्चित रूप से कई दूसरे अधिकारियों के लिए प्रेरणा का विषय है। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि गूगल और फेसबुक जैसी उपयोगी बेवसाइट को बंद करने या उनका विरोध करने के बजाए उनका सदुपयोग शुरू करना चाहिए। 

इसी सदुपयोग के चलते आम आदमी के हित में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के बेहतर इस्तेमाल के लिये ग्वालियर  कलेक्टर पी नरहरि को प्रतिष्ठित अवार्ड मिला है। यह अवार्ड इंटरनेट एण्ड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा माइक्रोसॉफ्ट एडवरटाइजिंग इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया है। इन संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर दिये जाने वाला यह तीसरा अवार्ड है।

सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ और ‘टिवटर’ पर कलेक्टर श्री नरहरि से लगभग 17 हजार फॉलोअर जुड़े हैं। फेसबुक एवं टिवटर के जरिए उनके ध्यान में आईं 1,473 समस्याओं में से 1,322 का उन्होंने निराकरण भी कर दिया है। निराकरण की सूचना उन्होंने एसएमएस के जरिए संबंधित फॉलोअर तक पहुँचाई है। शेष समस्याओं को निराकृत करने के लिये कलेक्टर ने कुछ को न्यायालयीन, कुछ को जन-सुनवाई तो कुछ समस्याओं को टीएल की सूची में पंजीबद्ध करवाया है।

फेसबुक के जरिये ग्वालियर के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव भी उन्हें मिले हैं। साथ ही इन सुझाव पर अमल के लिये फॉलोअप से सतत संवाद भी हुआ है। शहर के चौराहों और सड़कों का विकास तथा शहर के सौंदर्यीकरण से संबंधित इन सुझावों पर अमल भी किया गया है। शहर की ज्वलंत समस्याओं से संबंधित सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिए 1500 से अधिक सुझाव उन्हें मिले हैं।

जनसुनवाई, टीएल, जन शिकायत निवारण तथा अन्य माध्यम से प्राप्त हो रहे आवेदनों के त्वरित निराकरण के लिये भी जिले में सूचना प्रौद्योगिकी का सफल इस्तेमाल हुआ है। इन आवेदन का निराकरण ऑनलाइन किया जा रहा है। ऑनलाईन निराकरण व्यवस्था लागू होने से प्रकरणों के निराकरण में विशेष तेजी आई है। अब तक प्राप्त आवेदन में से लगभग 88 फीसदी आवेदन निराकृत हो चुके हैं। जन-सुनवाई आदि में प्राप्त आवेदन के निराकरण की स्थिति आवेदक ऑनलाइन देख सकते हैं। कलेक्टर ने सभी आवेदक से आग्रह कर रखा है कि वह आवेदन पर टेलीफोन और मोबाइल नम्बर जरूर लिखें ताकि उन्हें निराकरण की सूचना दी जा सके।
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