संदिग्ध है रेणुका का सुसाइड नोट, कहानी और पिता का बयान

भोपाल। डीबी सिटी मॉल की तीसरी मंजिल से कूदकर सुसाइड करने वाली रेणुका मित्तल का सुसाइड नोट पुलिस को घटना के 3 दिन बाद मिला है। यह सुसाइड नोट, ​इसमें लिखी कहानी और इसकी पोस्टिंग का तरीका सबकुछ संदिग्ध है। अजीब बात तो यह है कि रेणुका के पिता भी इस मामले में कतई आक्रोशित नहीं है बल्कि उनके बयानों से ऐसा लग रहा है जैसे वो रेणुका की मौत को एक हादसा मानकर भूल जाना चाहते हैं। 

सुसाइड नोट में क्या लिखा है
कपड़ा व्यापारी की पत्नी रेणुका मित्तल का 8 पेज का सुसाइड नोट साधारण डाक से कोतवाली थाने को प्राप्त हुआ है। कोतवाली पुलिस को घटना के तीन दिन बाद गुरुवार को यह सुसाइड नोट मिला। सुसाइड नोट में रेणुका ने अपनी सास पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। सुसाइड नोट में रेणुका मित्तल ने ससुराल पक्ष पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए लिखा है कि मेरी सास मुझसे बहुत काम कराती है, जबकि देवरानी को कुछ नहीं कहती। मेरी बेटियों को अच्छे स्कूल में दाखिला तक नहीं दिलवाया। मेरी देवरानी के बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। कुछ दिनों पहले जब मैं बीमार थी, सास ने मेरा हाल तक नहीं पूछा। सास मेरी बेटियों और मेरे साथ भेदभाव करती है। घर में हमारा सम्मान नहीं होता। सास की प्रताड़ना और भेदभाव से दुखी होकर मैं सुसाइड कर रही हूं। मेरे पति बहुत अच्छे है।

इसमें संदिग्ध क्या है
सुसाइड नोट का साधारण डाक से पोस्ट किया जाना ही संदिग्ध है। रेणुका मित्तल जिस तरह की लाइफ स्टाइल जीती थी, उम्मीद नहीं की जा सकती कि उसे किसी डाकघर का एड्रेस भी मालूम हो। इन दिनों पत्रव्यवहार के लिए लोग प्राइवेट कोरियर सर्विस का उपयोग करते हैं। 
बड़ा सवाल यह भी है कि क्या रेणुका मित्तल जैसी महिलाओं को पुलिस थानों का पोस्टल एड्रेस पता होता है। 
यदि रेणुका ने पहले से सुसाइड प्लान किया था तो वो अपनी बेटी को साथ लेकर क्यों आई। 
यदि रेणुका ने पहले से सुसाइड प्लान किया था तो इसके लिए उसने डीबी सिटी मॉल को ही क्यों चुना जबकि यह कोई सुसाइड पाइंट नहीं है। इससे पहले किसी ने यहां से सुसाइड नहीं किया। 
यदि रेणुका ने कोई सुसाइड नोट लिखा था तो उसे अपने पास अपने बैग में क्यों नहीं रखा, जबकि बात करने के बाद मोबाइल अपने बैग में रखा था।  
सीसीटीवी फुटेज में रेणुका मित्तल की बॉडी लेंग्वेज देखकर कोई नहीं कह सकता कि उसने जहां से जंप किया, वहां वो सुसाइड करने आई थी। वो तो फोन पर बात कर रही थी। इसी दौरान अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसने फैसला किया। सुसाइड का फैसला तात्कालिक था। यह पहले से प्लान किया हुआ नहीं था। 

रेणुका के पिता का रवैया मामले को दबाने वाला है
रेणुका के पिता डॉ. प्रहलाद दास अग्रवाल मूलत: गुजरात के कांडला पोर्ट के रहने वाले हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि पति-पत्नी में कोई विवाद नहीं है, जबकि वे दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझते थे। करीब 12 साल पहले रेणुका और संजय की शादी हुई थी। उनकी 11 साल और छह साल की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी दोपहर में ट्यूशन गई थी, जबकि छोटी बेटी डीबी सिटी जाने की जिद करने लगी, तो रेणुका उसे लेकर मॉल आई थीं। पुलिस को दिए बयान में रेणुका और संजय के परिवार ने इसे हादसा बताया था। जबकि टीआई संजय सिंह बैस ने सीसीटीवी देखने के बाद स्पष्ट किया था कि मामला खुदकुशी का है।

अब पिता के बयानों पर संदेह क्यों
डॉ. प्रहलाद दास अग्रवाल ने रेणुका की मौत के साथ ही उसे हादसा मान लिया। जबकि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखे और इसे सुसाइड बताया। क्या अग्रवाल इस मामले की जांच ही शुरू नहीं होने देना चाहते थे। 
डॉ. प्रहलाद दास अग्रवाल ने शुरूआत में ही रेणुका के पति संजय को क्लीनचिट दे दी। यह कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी में हुआ। सामान्यत: किसी भी बेटी का पिता इतनी जल्दी अपने दामाद को क्लीनचिट नहीं देता। यह कुछ ऐसे हुआ जैसे पुलिस को जांच करने का अवसर ही नहीं देना चाहते। 
डॉ. प्रहलाद दास अग्रवाल रेणुका की सास और देवरानी पर भी नाराज नहीं हैं। वो इस मामले की कड़ी कार्रवाई की मांग ही नहीं कर रहे। सामान्यत: ऐसे मामलों में मृतक महिला का पिता बवाल मचा देता है। 

क्या कुछ और भी बाकी है
एक बड़ा सवाल अभी भी शेष है। सुसाइड नोट और रेणुका के पिता डॉ. प्रहलाद दास अग्रवाल के बयानों में पति संजय को क्लीनचिट दी गई है। जबकि सुसाइड नोट में सास और देवरानी पर आरोप लगाए गए हैं। सवाल यह है कि यदि रेणुका अपनी सास से इतनी ही परेशान थी तो उसने अपने पति संजय से मदद क्यों नहीं मांगी। जबकि रेणुका के पिता का बयान है कि 'वे दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझते थे।' यदि रेणुका ने संजय से मदद मांगी थी और संजय ने मदद नहीं की तो संजय अच्छा पति कैसे हुआ। आखिर क्यों तनाव इतना बढ़ गया कि रेणुका को आत्मघाती कदम उठाना पड़ा। मामला कुछ और है। शायद दोनों परिवार समाज में अपने सम्मान के लिए रेणुका की मौत को भुला देना बेहतर समझ रहे हैं लेकिन हमारे पुलिस सूत्रों का दावा है कि वो मामले की तह तक जाकर सही कहानी निकाल ही लाएंगे। एक बेटी की मौत इस तरह खर्च नहीं होगी। 

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