नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के हरदा जिले में 2013 में हुए दंगा के मामले में भाजपा नेता कमल पटेल, पुत्र सुदीप पटेल और सहयोगियों की भूमिका की सीबीआई से जांच कराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार तथा जांच एजेंसी से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायमूर्ति जस्टिस एचएल दत्तू और एके सीकरी की पीठ ने मध्य प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री कमल पटेल, सीबीआई, राज्य सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब तलब किया है। शीर्ष अदालत का यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग मोदी की याचिका पर आया है।
उन्होंने अपनी याचिका में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा जनहित याचिका को खारिज किए जाने को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था कि 'स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं होने की आशंकाओं की रिकॉर्ड से पुष्टि नहीं होती है।"
हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रतिवादी- राज्य सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि उक्त घटना से जुड़े अपराध का केस रजिस्टर कर उसकी उचित जांच की गई है। पूर्व विधायक के बेटे सुदीप पटेल का नाम बतौर आरोपी है और कानून के मुताबिक कार्यवाही चल रही है। आरोप-पत्र भी संबंधित कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है।
वहीं, याचिका में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा खिरकिया तहसील के खेड़ा और फाटेगांव के नजदीक छिपाबड थाने के आसपास एक गाय की कथित हत्या की पृष्ठभूमि में 19 सितंबर, 2013 को हुए दंगे को तत्कालीन भाजपा विधायक कमल पटेल, बेटा सुदीप पटेल तथा उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने भड़काया था।
याचिका में दावा किया गया है कि पूरे घटनाक्रम को सांप्रदायिक रंग देने के लिए उसे सुनियोजित तरीके से प्रायोजित किया गया था। याचिका के मुताबिक दरअसल गाय ने ज्यादा मात्रा में पॉलिथीन खा लिया था, जो उसके श्वास नाल में फंस गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई। यह बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी सामने आई।
याचिककर्ता का कहना है कि हाई कोर्ट ने इस केस में जांच पूरी होने का निष्कर्ष निकाल कर 'बड़ी चूक" की है। याचिका में कहा गया है- जांच की प्रक्रिया तब तक पूरी नहीं कही जा सकती जब तक कि अपराध, साजिश समेत सभी पहलुओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं की जाए।"