दिनांक 4 जून 2024 के बाद यदि नरेंद्र मोदी सरकार का थर्ड टर्म शुरू होता है तो रविवार की छुट्टी पर पुनर्विचार किया जाएगा। इस बात का संकेत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज झारखंड के दुमका में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने बताया कि रविवार की छुट्टी एक समाज विशेष की धार्मिक सुविधाओं के लिए निर्धारित की गई थी। पढ़िए इस विषय पर भोपाल के पत्रकार उपदेश अवस्थी की एक रिपोर्ट।
साप्ताहिक अवकाश का मुद्दा प्रधानमंत्री तक कैसे पहुंचा
भारत में लोकतांत्रिक सरकार के गठन के बाद भी रविवार को इमरजेंसी की स्थिति में ईसाई समाज के कर्मचारियों को सबसे अंत में बुलाया जाता था। धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत के कुछ इलाकों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित कर दिया गया है। यह एक तनावपूर्ण स्थिति है और भारत के संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इससे पहले भी कई बार यह मांग उठ चुकी है कि धार्मिक आधार पर छुट्टी, धर्म विशेष के लोगों को ही मिलनी चाहिए।
रविवार की छुट्टी नहीं होगी तो फिर क्या होगा
सरकार के पास कई विकल्प हैं। सप्ताह के किसी ऐसे दिन का चुनाव किया जा सकता है जो ज्यादातर कर्मचारियों के लिए उपयोगी और लाभदायक हो। इसके अलावा कॉरपोरेट कल्चर अडॉप्ट किया जा सकता है अर्थात कर्मचारियों को यह स्वतंत्रता दी जाएगी कि वह अपने लिए सप्ताह में से किसी भी एक दिन का चुनाव साप्ताहिक अवकाश के लिए कर सकते हैं। ऐसा करने पर भारत में सरकारी ऑफिस सप्ताह के सभी सा दिन ओपन रहेंगे और सभी कर्मचारियों को बारी-बारी से साप्ताहिक अवकाश भी मिल जाएगा।
General knowledge - रविवार की छुट्टी कब और कैसे लागू हुई
भारत में रविवार की छुट्टी 1843 से शुरू हुई थी। इसके तहत ब्रिटिश सरकार में काम करने वाले ईसाई अधिकारी और कर्मचारियों को रविवार की छुट्टी दी जाती है क्योंकि ईसाई धर्म में रविवार का दिन सप्ताह का सबसे शुभ दिन होता है और मान्यता है कि इस दिन ईश्वर सबको आशीर्वाद प्रदान करते हैं, सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।
1883 में भारत के महान मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे के नेतृत्व में मजदूरों को साप्ताहिक अवकाश के लिए देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत की गई। यह आंदोलन लगातार 7 साल तक चला और दिनांक 10 जून सन 1890 को ब्रिटिश सरकार ने मजदूरों के लिए भी रविवार का दिन, साप्ताहिक विश्राम अथवा साप्ताहिक अवकाश का दिन घोषित कर दिया।
यहां नोट करना जरूरी है कि भारतीय व्यवस्था में रविवार का दिन साप्ताहिक विश्राम का दिन है। कॉरपोरेट कंपनियां भी इसे वीकली ऑफ कहती हैं। इसका अर्थ होता है कि आप अपने घर में विश्राम कर सकते हैं लेकिन अपना मुख्यालय छोड़कर नहीं जा सकते। शहर से बाहर नहीं जा सकते और आवश्यक होने पर आपका साप्ताहिक विश्राम रद्द किया जा सकता है। इसके बदले में आपको कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया यह नियम आज भी लागू है।
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