BNS 18, IPC 80 - इस प्रकार की दुर्घटना जिसमें मृत्यु के बाद भी सजा नहीं होती, क्षमा मिल जाती है

Legal general knowledge and law study notes 

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106 के विरुद्ध हाल ही में ड्राइवर के कुछ संगठनों द्वारा हड़ताल की गई थी। इसमें प्रावधान किया गया है कि यदि कोई ड्राइवर किसी को टक्कर मार कर भाग जाता है और दुर्घटना पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो ड्राइवर को 10 साल का कठोर कारावास और ₹500000 जुर्माना अदा करना होगा। यदि वह घटनास्थल से नहीं भागता तो 5 साल का कठोर कर आवास और जुर्माना अदा करना होगा। ड्राइवर का कहना है कि यह सजा बहुत ज्यादा है और अन्याय पूर्ण है लेकिन दुर्घटना के कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें सजा नहीं बल्कि क्षमा कर देने का प्रावधान है। 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 18, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 80 की परिभाषा 

अगर कोई व्यक्ति विधिपूर्ण नियमों से एवं सावधानीपूर्वक कोई कार्य कर रहा है, एवं उसका ऐसा कार्य करने में कोई आपराधिक उद्देश्य नहीं है तब उसके द्वारा कोई दुर्घटना या मृत्यु हो जाए वह IPC की धारा 80 एवं BNS की धारा 18 के अनुसार क्षमा योग्य होगी। धारा 80 के अनुसार, कोई बात अपराध नहीं है, जो दुर्घटना या दुर्भाग्य से और किसी आपराधिक आशय या ज्ञान के बिना विधिपूर्ण प्रकार से विधिपूर्ण साधनों द्वारा और उचित सतर्कता और सावधानी के साथ विधिपूर्ण कार्य करने में हो जाती है। इसमें "दुर्घटना" से आशय ऐसी घटना से है जो किसी व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होती है और जिसकी उसने अपेक्षा नहीं की होती है। "दुर्भाग्य" से आशय ऐसी घटना से है जो किसी व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होती है, लेकिन जिसकी उसने अपेक्षा की होती है।

आईपीसी की धारा 80 के संदर्भ में पिछले 5 सालों में न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण फैसले 

अभिषेक कुमार बनाम राज्य (2023) मामले में, अभिषेक कुमार एक पुलिस अधिकारी था। वह एक अपराधी का पीछा कर रहा था। पीछा करते समय अपराधी एक कार से टकरा गया और उसकी मृत्यु हो गई। अभिषेक कुमार पर हत्या का आरोप लगाया गया। अदालत ने अभिषेक कुमार को बरी कर दिया, क्योंकि अभिषेक कुमार ने अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी और अपराधी की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।

डॉ. सुभाष राय बनाम राज्य (2022) मामले में, डॉ. सुभाष राय एक डॉक्टर थे। उन्होंने एक मरीज का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई। डॉ. सुभाष राय पर हत्या का आरोप लगाया गया। अदालत ने डॉ. सुभाष राय को बरी कर दिया, क्योंकि डॉ. सुभाष राय ने ऑपरेशन विधिवत और सावधानीपूर्वक किया था और मरीज की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।

हरीश कुमार बनाम राज्य (2021) मामले में, हरीश कुमार एक किसान था। वह अपने खेत में काम कर रहा था। अचानक, एक बिजली का तार टूट गया और हरीश कुमार की मृत्यु हो गई। हरीश कुमार के परिजनों ने बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। अदालत ने बिजली विभाग को बरी कर दिया, क्योंकि बिजली विभाग ने बिजली के तारों की मरम्मत के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी और हरीश कुमार की मृत्यु दुर्घटनावश हुई थी।

इन फैसलों से स्पष्ट है कि आईपीसी की धारा 80 के तहत, किसी व्यक्ति को विधिपूर्ण कार्य करते समय होने वाली दुर्घटना के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, यदि उसने दुर्घटना को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरती थी।

The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 18, Indian Penal Code, 1860 section 80 Punishment 

सुरेश कुमार बनाम राज्य (2023) में, सुरेश कुमार एक पुलिस अधिकारी था। वह एक अपराधी का पीछा कर रहा था। अपराधी को फरार होने से रोकने और गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अधिकारी सुरेश कुमार ने अपराधी के पर को निशाना बनाकर गोली चलाई परंतु इसके कारण अपराधी की मृत्यु हो गई। अदालत ने पुलिस अधिकारी सुरेश कुमार को दोषी ठहराया, क्योंकि सुरेश कुमार ने अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक सावधानी नहीं बरती थी।

अतः, यह स्पष्ट है कि धारा 80 के तहत अपराधी को दोषी ठहराने या बरी करने का निर्णय तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!