MEIL द्वारा आधुनिक तकनीक से बनाई गई स्वदेशी आईल ड्रिलींग रीग्ग

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मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड (MEIL) निजी क्षेत्र की पहली कंपनी है जो आधुनिकतकनीक के साथ तेल और ईंधन निष्कर्षण में इस्तेमाल होने वाले रिग्ग का निर्माण और उपयोग करती है। केन्द्र सरकार के बहुचर्चीत मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुसार MEIL ने देश में पहली बार इन रिग्ग का निर्माण किया है। इन्हें आधुनिकतकनीक और हाइड्रोलिक सिस्टम के साथ डिजाइन किया गया है। MEILउपाध्यक्षपि.राजेश रेड्डि नेकहा कि बुधवार, 7 अप्रेल, 2021 को अहमदाबाद, गुजरात में कल्लोल तेल क्षेत्र में ड्रिलिंग अभियान शुरू किया है।1500HP की क्षमता वाले यह ड्रिलिंग रिग्ग जमीन की सतह से 4000 मीटर (4 किलोमीटर) गहराई तक तेल कुओं को आसानी से खोद सकती है।MEIL द्वारा बनाये हुए ये रिग्ग40 वर्षों तक बिना रुकावट काम करेंगे।

2019 में MEIL को 47 ड्रिलिंग रिग्ग का निर्माण करने के लिए रु6000 करोड़ का पहिला कॉन्ट्रॅक्ट मीला। इसके तहत पहली रिग्ग कोअहमदाबाद के तेल क्षेत्रों में उपयोग में लाया गया है। शेष 46 रिग्ग निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। कुल रिग्ग में से 20वर्क ओव्हर रिग्गहै।(यह रिग्ग का उपयोग ड्रिल किए गए कुओं से तेल निकालने के लिए किया जाता है और साथ ही तेल कुओं की उत्पादकता बढ़ाने और तेल कुओं की मरम्मत के लिए भी यह रिग्गसुविधाजनक हैं।साधारण रिग्गइस तरह के काम करने के लिए उपयोगी साबीत नहीं होते है।) और शेष 27लैंड ड्रिलिंग रिग्ग हैं (लैंड ड्रिलिंग रिग्ज एक अत्याधुनिक मशीन है जो जमीन की सतह से भूमिगत तेल जमा करने के लिए पृथ्वी की परतों को खोदती है। यह 1500 मीटर से 6000 मीटर तक खुदाई कर सकती है, जबकि सामान्य रिग्स केवल 1000 मीटर तक खुदाई कर सकती हैं।

20 में से 12रिग्ग50MT क्षमता के हैं, 4 रिग्ग100MT क्षमता के हैं।MEIL द्वारा 150 मेट्रिक टन की क्षमता वाले 4 रिग्ग का भी निर्माण किया जा रहा है।1500HP की क्षमता वाले2 लैंड ड्रिलिंग रिग्ग बनाए गए हैं और 1500HP AC VFD की क्षमता वाले 17 रिग्ग निर्माण कार्य पुरा हो गया है।2000HP क्षमतावाले 6 रिग्ग बनाए गए हैं।2 और रिग्ग भी 2000 HPक्षमता के साथ डिजाइन किए गए हैं। ये 2000HP क्षमता के रिग्स 6000 मीटर (6 किलोमीटर) तक ड्रिल कर सकते हैं। इस तरह की का रिग्ज उत्पादन भारत में पहली बार  हो रहा है।

इसमे से एक रिग्गने गुजरात में अपना काम चालु किया है और कुछ ही दिनों में दूसरा रिग्ग भी अपना परिचालन शुरू कर देगा, जिसके लिए प्रारंभिक तैयारी शुरू हो चुकी है। शेष 46 रिग्स में, 2 रिग्ग आंध्र प्रदेश में राजमंड्री के तेल क्षेत्रों में असेंबली स्टेज में हैं, जबकि शेष रिग्ग को असम, त्रिपुरा और तमिलनाडु में ONGC के तेल क्षेत्रों में उपयोग मे लाया जायेगा।

MEILउपाध्यक्ष श्रीपि. राजेश रेड्डिने कहा कि अहमदाबाद के पास दमासाना गांव में स्थित कल्लोल तेल कुए का ड्रिल देसी तकनीक का उपयोग करके पहली रिग्ग के उपयोग से किया गया। ये बहुत तेजी से ड्रिल करेंगी और बहुत कम बिजली भी खपत होगी। यह रिग्गप्रगत हाइड्रोलिक और स्वचालित तकनीक से बनाया गया है। यह 1500HPक्षमता की रिग्ग आसानी से 4000 मीटर तक खोद सकती है और इसके सुरक्षा मानक भी बहोत आधुनिक है।
श्रीपि. राजेश रेड्डिने कहा कि भारत की नवरत्न कंपनियों में से एक ONGC  के लियेमेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अडव्हान्स तकनीक वाली यह रिग्ग की आपुर्ती करना बहुत गर्व की बात है।इससे घरेलू तेल उत्पादन में वृद्धि और आयात को कम करके घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार करने में बहोत ही मदतमंद साबीत होगी। इन आधुनिकतकनीकरिग्ग से ONGC को भी लाभ होगा।

भविष्य में कुओं की ड्रिलिंग अडव्हान्स तकनीक की मदद सेMEIL वाणिज्यिक उत्पादन भी शुरू कर देगी।MEIL ने मेक इन इंडिया को अपनी नीति के रुप मे अपनाया है। यह तेल और ईंधन निष्कर्षण रिग्गभारत के लिए एक उम्मीद बन गयी है,  जिसके लिये अब तक अपने देश को  ज्यादातर अन्य देशों की मशीनरी पर निर्भर रहना पडता था।MEIL पूरी तरह से प्रगततकनीक के साथ रिग्ग का निर्माण कर रहा है जो किसी अन्य विदेशी कंपनी रिग्स इतनेही बेजोड़ हैं।यह केवल MEIL के लिए ही नही बल्कि पूरे देश को गर्व कि बात है।
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