पूरी दुनिया ने एक खतरनाक महामारी (कोविड-19) देख ली है। इसके कारण सिर्फ 1 साल ही बर्बाद नहीं हुआ बल्कि भविष्य की सभी योजनाएं प्रभावित हो गई। मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन जो जिंदा बच गए हैं उनके सामने चुनौतियां काफी ज्यादा बढ़ गई है। बहुत जरूरी हो गया है कि पृथ्वी पर मौजूद उन सब कारणों को खोज निकाला जाए जिसके कारण महामारी फैल सकती है। खेतों में फसल को कीड़ों से बचाने के लिए डाला जाने वाला कीटनाशक भी एक ऐसा ही कारण है जिसके रहते महामारी का खतरा हमेशा बना रहेगा।
खेत में कीटनाशक के कारण गिद्धों की मौत हो रही है
जब एक किसान अपने खेत में कीटनाशक दवा (Pesticide) का प्रयोग करता है। इस कीटनाशक दवा युक्त पेड़ - पौधों को जब गाय खाएगी तो यह कीटनाशक, गाय के शरीर में एकत्रित होगा। जब यह गाय मरेगी, तो उसे गिद्ध खायेंगे। जिसके कारण उस कीटनाशक की मात्रा गिद्ध के शरीर में पहुंचेगी इससे गिद्धों की मौत हो जाती है और इसी कारण गिद्धों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है।
विज्ञान की भाषा में समझिए कीटनाशक कितना खतरनाक है
जब छोटी सी कीटनाशक दवा की डिब्बी को पानी में मिलाकर खेतों में छिड़का जाता है तो वह पौधों की कोशिकाओं में एकत्रित हो जाती है और उसकी मात्रा बढ़ जाती है। जब यह किसी दूसरे उपभोक्ता जैसे -गाय, भैंस, बकरी तक पहुंचती है, तब इसकी मात्रा और अधिक बढ़ जाती है और अंततः जब गिद्ध इसे खाते हैं तो इसकी सबसे अधिक मात्रा उनके पास ही पहुंचती है। इस प्रकार पूरी की पूरी खाद्य श्रंखला ही प्रभावित हो जाती है।
गिद्धों के मरने से महामारी का क्या रिश्ता है
पृथ्वी पर गिद्ध ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो लावारिस पड़ी इंसान और जानवरों की लाशों का सड़ा हुआ मांस खाता है। यह बताने की जरूरत नहीं कि जब इंसान या जानवर की मृत्यु हो जाती है तो उसके शरीर में से कई खतरनाक एवं संक्रामक वायरस निकलना शुरू हो जाते हैं। इन खतरनाक वायरस के कारण ही महामारी फैलती है। इसीलिए सभी धर्मों में मनुष्य की मृत्यु के अंतिम संस्कार की परंपरा बनाई गई है। ऐसे क्षेत्र जहां आबादी नहीं है यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तब उसके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं हो पाता और ऐसी स्थिति में केवल गिद्ध ही हैं जो उसके सड़े हुए मांस को खत्म कर सकते हैं। यदि पृथ्वी से सारे गिद्ध मर गए तो इस धरती पर एक भी इंसान नहीं बचेगा। सिर्फ वायरस ही वायरस रह जाएंगे।