भोपाल। भोपाल के कान्हा कुंज में अजीब सी स्थिति बन गई है। यहां लगातार 2 दिन तेज धमाकों की आवाजें आईं और जमीन में भूकंप जैसा कंपन हुआ। रहवासी दहशत में हैं, खरीददारों ने कान्हा कुंज और आसपास के इलाकों में मकान/प्लॉट/फ्लैट खरीदने से इंकार कर दिया है। इधर वैज्ञानिकों का दावा है कि भोपाल शहर सिस्मिक जोन-2 (भूगर्भीय सुरक्षित क्षेत्र) में हैं। इसलिए यहां भूकंप आने की कोई आशंका न वर्तमान में हैं, न भविष्य में ऐसा होने का अनुमान है।
प्रशासन का कहना है कि भोपाल का लगभग 85 फीसदी इलाके में जमीन के नीचे बेसाल्ट रॉक है। बाकी हिस्से में ग्रेनाइट रॉक है। हमारा शहर जिस जमीन पर बसा है, उसके नीचे बेसाल्ट (बलुआ पत्थर) की मजबूत चट्टानें (हार्ड रॉक) हैं। एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, कोलार, भेल, बैरागढ़, ओल्ड सिटी जैसे इलाकों में जमीन के नीचे बेसाल्ट रॉक ही है जो हमें मजबूत आधार देती है। यहां के पहाड़ों की ऊंचाई सामान्य हैं, इसलिए यहां आसानी से जल निकासी भी हो जाती है।
पूरी तरह सुरक्षित है भोपाल
जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर जनरल हेमराज सूर्यवंशी के मुताबिक भोपाल सिस्मिक जोन-2 में है, जो सेफ जोन माना जाता है। जबकि जोन-1 सेफेस्ट यानी सर्वाधिक सुरक्षित होता है।
ये भू-धसान (लैंडस्लाइड) भी नहीं,
जहां धमाके की आवाज आई, उसके चारों ओर 5 किलोमीटर के रेडियस में जमीन धंसकने या पहाड़ से मलबा खिसकने की कोई घटना रिकार्ड नहीं हुई है। जांच करने गई टीम को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला, नाहीं किसी रहवासी ने इसके बारे में बताया। आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई वैध या अवैध खदान (माइनिंग एरिया) भी यहां नहीं हैं।
कान्हा कुंज के दोनों तरफ बांध हैं, इसलिए जमीन में कंपन होता है
कान्हा कुंज कॉलोनी से ठीक उत्तर दिशा में 2 किलोमीटर दूर कलियासोत डैम और ठीक पश्चिम दिशा में 3 किलोमीटर दूर केरवा डैम हैं। कलियासोत नदी यहां से एक किलोमीटर और केरवा नदी 2.5 किलोमीटर है। दोनों ओर बीच में पहाड़ है। दोनों डैम के लंबे समय बाद एफटीएल तक भरने और नदियों में काफी पानी छोड़े जाने से जमीन के नीचे पानी का पर्कुलेशन काफी हो रहा है। जमीन की ऊपरी सतह भी पानी सोखने के कारण भारी हो गई है। पानी के भारी दबाव और नीचे गैप होने के कारण जमीन के नीचे की कोई रॉक फ्रैक्चर या क्रेक हुई है, इस कारण तेज आवाज हो सकती है।
शहर के किस इलाके में जमीन के नीचे क्या
जलोढ़, रेतीली मिट्टी (एलुवियम एंड साॅइल) - शहर के दक्षिणी हिस्से की बाहरी सीमा से लेकर केरवा और कलियासोत नदी के बीच एवं होशंगाबाद रोड के दोनों ओर।
लेटेराइट (लाल मुरम) - आम तौर पर इसे कोपरा भी कहते हैं। सनखेड़ी और चींचली के बीच 3 स्थानों पर यह पाया जाता है
अपर भांडेर सेंड स्टोन - श्यामला हिल, फतेहगढ़ हिल, ईदगाह हिल और राजभवन-मिंटो हॉल पहाड़ी
कान्हा कुंज में 27 अगस्त को क्या हुआ
पहली बार - सुबह 5.30 बजे - सबसे तेज धमाका इसी वक्त हुआ। कई लोगों ने आवाज सुनी।
दूसरी बार - सुबह 10 बजे -अधिकांश लोगों ने धमाके जैसी आवाज सुनने की पुष्टि की।
तीसरी बार - सुबह 10.45 बजे - हल्के धमाके की आवाज आई।
चौथी बार - सुबह 11.45 बजे - हल्के धमाके की आवाज आई।
कान्हा कुंज में 28 अगस्त को क्या हुआ
पांचवी बार - शाम 5.42 बजे - हल्के धमाके की आवाज आई।
छठी बार - रात 11 बजे - हल्के धमाके की आवाज आई।
ये भूकंप (अर्थक्वेक) नहीं
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के किसी भी सिस्मोलॉजिकल यूनिट (नागपुर और जबलपुर) में भूकंपीय गतिविधि दर्ज नहीं हुई। मौसम विज्ञान विभाग की भोपाल के नजदीक गुना और जबलपुर स्थित सिस्मोग्राफिक ऑब्जरवेटरी में कोई भूगर्भीय गतिविधि दर्ज नहीं हुई। अरेरा हिल स्थित मौसम केंद्र ऑब्जरवेटरी के सिस्मोग्राफ में भी कोई गतिविधि रिकार्ड नहीं की गई। किसी भी मकान में दरार तो छोडि़ए हेयर-लाइन क्रेक भी देखा नहीं गया है।