जबलपुर। बिजली उपभोक्ताओं के लिए अब एडवांस टेक्नोलॉजी के स्मार्ट मीटर लाने की तैयारी हो रही है। जो उपभोक्ता से ज्यादा कंपनी के लिए फायदेमंद साबित होंगे। ये स्मार्ट मीटर लगे तो लाइनमेन को घर तक बिल का तकादा करने नहीं जाना पड़ेगा। न घर के पास लगे पोल पर चढ़कर लाइन काटनी पड़ेगी। घर की सप्लाई कम्प्यूटर की एक क्लिक से संचालित होगी। जब चाहे कंपनी दफ्तर में बैठे-बैठे ही बिजली सप्लाई बंद या चालू कर देगी। इतना ही नहीं रीडिंग को लेकर झंझट भी नहीं होगी। हर वक्त की रीडिंग भी कम्प्यूटर पर रियल टाइम दिखाई देगी। पूरे प्रदेश में पहले चरण में करीब 10 लाख स्मार्ट मीटर लेने की तैयारी हो रही है।
स्मार्ट मीटर खरीदी के लिए बनी कमेटी
बिजली कंपनी ने स्मार्ट मीटर खरीदी के लिए तीनों डिस्कॉम कंपनी के एक-एक प्रतिनिधियों को शामिल कर कमेटी का गठन किया है। जो इस संबंध में अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दे रही है। अभी तक कमेटी की कई दौर की बैठक हो चुकी हैं। जिसमें करीब 10 लाख मीटर क्रय करने को लेकर सहमति बनी है। मीटर का उपयोग कहा होगा। किन इलाकों में लगाए जाएंगे। इस संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
लोड बढ़ते ही बंद हो जाएगी सप्लाई
घर में बिजली का तय लोड से ज्यादा हुआ तो बिजली सप्लाई तत्काल बंद हो जाएगी। लोड वापस नियंत्रण हुआ तो सप्लाई फिर चालू होगी। ओवर लोड नहीं होगा।
किस ट्रांसफार्मर से कितनी बिजली भेजी गई। कहां कितनी खपत हुई। इन सब बातों का एनर्जी ऑडिट होगा।
बिल तय अवधि तक नहीं जमा हुआ तो सप्लाई ऑटोमेटिक बंद हो जाएगी। बिल जमा करने पर दोबारा चालू हो जाएगी। किसी लाइन स्टॉफ को इसके लिए अतिरिक्त समय नहीं देना होगा।
रीडिंग लेने कोई नहीं आएगा। हर पल की रीडिंग बिजली कंपनी दफ्तर से ही रियल टाइम देख पाएगी। उसी के आधार पर बिल तैयार होगा।
बिजली का बिल एडवांस जमा करने वालों के लिए प्री-पेड की सुविधा भी मीटर में होगी। ताकि घर बंद है तो उन्हें बेवजह बिजली बिल का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली कंपनी ये सुविधा देना चाहती है। बिजली रीडिंग को लेकर इन्हीं श्रेणी में सबसे ज्यादा शिकायतें आती हैं। हर वितरण कंपनी बड़े शहर को शुरुआत में चिन्हित करना चाहती है। तीनों वितरण कंपनी को करीब 3-3 लाख मीटर दिए जाएंगे। कमेटी का सुझाव है कि कंपनी क्षेत्र के किसी भी एक बड़े शहर में स्मार्ट मीटर लगाया जाए। ताकि उसकी उपयोगिता का आंकलन सही ढंग से किया जा सके।
बिजली कंपनी ने जबलपुर में पिछले साल से अभी तक करीब 40 हजार नए मीटर उपभोक्ताओं के यहां बदले हैं। इस काम में करीब 5 करोड़ रुपए का खर्च हुआ। कंपनी क्षेत्र में ये आंकड़ा कई गुना अधिक है। जिस कंपनी से मीटर लिए है उससे 5 साल की वारंटी मिली हुई है। खराबी आने पर उसे बदला जाएगा। ऐसे में यदि दोबारा मीटर बदले गए तो जनता का पैसा बर्बाद होगा। हालांकि कंपनी अफसरों का दावा है कि अभी जो मीटर लगाए गए है वो आईपीडीएस योजना में लगे हैं। मीटर उन इलाकों के बदले जाएंगे जहां आरएपीडीआरपी योजना में मीटर लगाए गए थे। जिसकी वारंटी अवधि निकल चुकी है।
स्मार्ट मीटर खरीदी के लिए बनी कमेटी
बिजली कंपनी ने स्मार्ट मीटर खरीदी के लिए तीनों डिस्कॉम कंपनी के एक-एक प्रतिनिधियों को शामिल कर कमेटी का गठन किया है। जो इस संबंध में अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दे रही है। अभी तक कमेटी की कई दौर की बैठक हो चुकी हैं। जिसमें करीब 10 लाख मीटर क्रय करने को लेकर सहमति बनी है। मीटर का उपयोग कहा होगा। किन इलाकों में लगाए जाएंगे। इस संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
लोड बढ़ते ही बंद हो जाएगी सप्लाई
घर में बिजली का तय लोड से ज्यादा हुआ तो बिजली सप्लाई तत्काल बंद हो जाएगी। लोड वापस नियंत्रण हुआ तो सप्लाई फिर चालू होगी। ओवर लोड नहीं होगा।
किस ट्रांसफार्मर से कितनी बिजली भेजी गई। कहां कितनी खपत हुई। इन सब बातों का एनर्जी ऑडिट होगा।
बिल तय अवधि तक नहीं जमा हुआ तो सप्लाई ऑटोमेटिक बंद हो जाएगी। बिल जमा करने पर दोबारा चालू हो जाएगी। किसी लाइन स्टॉफ को इसके लिए अतिरिक्त समय नहीं देना होगा।
रीडिंग लेने कोई नहीं आएगा। हर पल की रीडिंग बिजली कंपनी दफ्तर से ही रियल टाइम देख पाएगी। उसी के आधार पर बिल तैयार होगा।
बिजली का बिल एडवांस जमा करने वालों के लिए प्री-पेड की सुविधा भी मीटर में होगी। ताकि घर बंद है तो उन्हें बेवजह बिजली बिल का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली कंपनी ये सुविधा देना चाहती है। बिजली रीडिंग को लेकर इन्हीं श्रेणी में सबसे ज्यादा शिकायतें आती हैं। हर वितरण कंपनी बड़े शहर को शुरुआत में चिन्हित करना चाहती है। तीनों वितरण कंपनी को करीब 3-3 लाख मीटर दिए जाएंगे। कमेटी का सुझाव है कि कंपनी क्षेत्र के किसी भी एक बड़े शहर में स्मार्ट मीटर लगाया जाए। ताकि उसकी उपयोगिता का आंकलन सही ढंग से किया जा सके।
बिजली कंपनी ने जबलपुर में पिछले साल से अभी तक करीब 40 हजार नए मीटर उपभोक्ताओं के यहां बदले हैं। इस काम में करीब 5 करोड़ रुपए का खर्च हुआ। कंपनी क्षेत्र में ये आंकड़ा कई गुना अधिक है। जिस कंपनी से मीटर लिए है उससे 5 साल की वारंटी मिली हुई है। खराबी आने पर उसे बदला जाएगा। ऐसे में यदि दोबारा मीटर बदले गए तो जनता का पैसा बर्बाद होगा। हालांकि कंपनी अफसरों का दावा है कि अभी जो मीटर लगाए गए है वो आईपीडीएस योजना में लगे हैं। मीटर उन इलाकों के बदले जाएंगे जहां आरएपीडीआरपी योजना में मीटर लगाए गए थे। जिसकी वारंटी अवधि निकल चुकी है।