सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के घर पहुंचाए गए थे रिश्वत के 25 लाख: ईडी का दावा | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता को जल्द ही दिल्ली में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के मुख्यालय जाना पड़ सकता है। दरअसल, ईडी ने दिल्ली की एक कोर्ट को बताया है कि उसके पास कांग्रेस नेता अहमद पटेल के आवास पर 25 लाख रुपये पहुंचाए जाने के सबूत हैं। संदेह है कि ये पैसे यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबियों में से एक अहमद पटेल के घर रिश्वत के तौर पर पहुंचाए गए। आपको बता दें कि ईडी शुक्रवार को दिल्ली की कोर्ट में रंजीत मलिक नाम के एक शख्स की 15 दिनों की हिरासत की मांग कर रही थी। इसी दौरान एजेंसी ने यह जानकारी साझा की। रंजीत मलिक को एक मनी लॉन्डरिंग केस में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला फर्जी तरीके से 5,000 करोड़ रुपये का लोन हासिल करने वाली गुजरात की कंपनी स्टरलिंग बायोटेक के खिलाफ सीबीआई केस से भी जुड़ा हुआ है।

कोर्ट में बहस के दौरान ईडी ने कहा कि उन्होंने राकेश चंद्रा नाम के एक शख्स का बयान रिकॉर्ड किया है। जिसने स्वीकार किया है कि उसने रंजीत मलिक के लिए कैश कूरियर यानी पैसे पहुंचाने का काम किया। राकेश चंद्रा ने यह भी कहा कि उसने 23, मदर टेरेसा क्रेसेंट रोड पर 25 लाख रुपये पहुंचाए। यह कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल का आधिकारिक आवास है। ईडी के अधिकारियों ने कोर्ट में यह भी कहा कि उनके पास न सिर्फ गवाहों के बयान हैं, बल्कि आरोपों को साबित करने के लिए 'फोन पर हुई बातचीत और ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड' भी हैं।

आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब ईडी ने अहमद पटेल के परिवार का नाम मनी लॉन्डरिंग केस में लिया है। इससे पहले भी एजेंसी ने आरोप लगाया था कि अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल और उनके दामाद इस केस से जुड़े हैं। अहमद पटेल के ऑफिस की तरफ से से कहा गया कि, 'यह सभी आरोप उसी तरह से आधारहीन हैं जैसे उनके खिलाफ अगस्ता वीआईपी चॉपर केस में लगाए गए आरोप आधारहीन थे। हालांकि जब ईडी से यह पूछा कि क्या जल्द ही अहमद पटेल से पूछताछ हो सकती है तो ईडी अधिकारियों ने इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।

गौरतलब है कि जून 2011 में स्टरलिंग बायोटेक पर छापेमारी के दौरान एक डायरी मिली थी. जिसमें कथित तौर पर नेताओं, आयकर अधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भुगतान का लेखा-जेखा था. सीबीआई ने पिछले साल डायरी में जिन शीर्ष आयकर अधिकारियों का नाम था, उनके खिलाफ केस दर्ज किया. जबकि कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ जाली दस्तावेजों के सहारे 2008-09 में 5,000 करोड़ रुपये का लोन हासिल करने के लिए भी मुकदमा दर्ज किया गया.  सरकार का कहना है कि कंपनी के तीन डायरेक्टर चेतन जयंतीलाल संदेसारा, दिप्ती चेतन संदेसारा और नितिन जयंतीलाल संदेसारा 2017 में ही देश छोड़ कर भाग गए. दूसरी तरफ, इस साल जून में ईडी ने कहा कि उसने कंपनी की करीब 4700 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को जब्त किया.  
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