ADHYAPAK| यह हैं शिक्षा विभाग और राज्य शिक्षा सेवा में अंतर, नफा-नुक्सान

अनिल नेमा। आज में आपको मूल पद के विरूद्ध राज्य शिक्षा सेवा की हानि से अवगत कर रहा हूॅं। यदि शिक्षा विभाग मिलता है तो 2005 के पूर्व के अध्यापक/शिक्षाकर्मी को नियुक्त दिनांक से पेंशन की पात्रता होगी। साथ ही निकट भविष्य में यदि नई पेंशन को अमान्य कर पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाती है तो 2005 के बाद वाले अध्यापकों को भी पुरानी पेंशन का लाभ नियुक्ति दिनांक से दिया जायेगा और यदि हमने राज्य शिक्षा सेवा को स्वीकार कर लिया तो हमें पुरानी पेंशन का लाभ नियुक्ति दिनांक से न देकर 01/07/2018 से दिया जायेगा क्योकि संक्षेपिका के अनुसार हमारा संविलयन नहीं हमारी नयी नियुक्ति हो रही है और संक्षेपिका में स्पष्ट रूप से लिखा है कि नई नियुक्ति में आने के पूर्व आपको पुरानी वरिष्ठता को भूलकर बांड भरना होगा। पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे देश में जोरों पर है और देर सबेरे पुरानी पेंशन को बहाल किया जायेगा ऐसी स्थिति में राज्य शिक्षा सेवा में हमारी 01/07/2018 से नियुक्त 1998 से लेकर 2013 तक के समस्त अध्यापकों के लिये घाटे का सौदा होगी। अध्यापक नेता पेंशन को लेकर नये पुराने अध्यापकों के बीच अनावश्यक रूप से खाई पैदा कर रहे है।

(2). ग्रेजुईटी व 300 दिनों का अर्जित अवकाश का नगदीकरण
राज्य शिक्षा सेवा में हमारी नियुक्ति होती है तो हमारी सेवा की गणना 01/07/2018 से की जायेगी और उसी के अनुक्रम में हमारी ग्रेजुईटी तय होगी जिसकी हानि 1998 से लेकर 2013 सभी अध्यापकों को होगी । कुछ साथी तो ऐसे भी होगे जो 5- 7 साल में रिटायर हो जायेगी ऐसी स्थिति में उन्हें ग्रेजईटी का लाभ नहीं मिलेगा क्योकि वे ही कर्मचारी ग्रेजुईटी के लाभ के लिये पात्र होगे जिन ने न्यूनतम 8 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है अब जुलाई 2018 से 8 वर्ष जोड़ लो ।

(3). 7 वां वेतनमान का लाभ
यदि शिक्षा विभाग मिलता है तो 7वां वेतनमान का लाभ शिक्षकों के समान जनवरी 2016 से मूलवेतन+ग्रेड पेय में 2.57 के अनुक्रम में देय होगा और यदि राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति पाते है तो जुलाई 2018 से ही 7वा वेतनमान देय और ऐसा न हो जैसे पहले हुआ था 1.86 के स्थान पर 1.62 और अब 2.57 के स्थान पर 1.89 ??????????????????
सब हो सकता है भैया और एक बात राज्य शिक्षा सेवा का आंरभ ही जुलाई 2018 से हो रहा है ऐसी स्थिति में कानूनन हम जनवरी 2016 से 7 वां वेतन के लिये अपात्र होगे।

(4).वरिष्ठता का मसला 
अनावश्यक रूप से यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि 30 साल का सहायक शिक्षक की वरिष्ठता वरिष्ठ अध्यापक/अध्यापक से उपर होगी हमारे पास जो राज्य शासन का आदेश है उसमें वरिष्ठता के क्रम का स्पष्ट उल्लेख है। 
प्राचार्य/व्याख्यता/वरिष्ठ अध्यापक/एच.एम/उ.श्रे.शि./अध्यापक/सहा. शिक्षक/सहा. अध्यापक 
जब तक सहायक शिक्षक का प्रमोशन व्याख्यता/उ.श्रे.शि. के पद पर नहीं होता तब तक सहायक शिक्षक , वरिष्ठ अध्यापक/ अध्यापक से सीनियर नहीं हो सकता। वरिष्ठ अध्यापक, सहायक शिक्षक/उ.श्रे.शि/एच.एम. से उपर है और ये क्रम शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश का है।

यदि शिक्षा विभाग मिलता है तो भले ही वह 2013 का वरि.अध्यापक हो प्राचार्य के पद पर वरि.अध्यापक/व्याख्यता/एच.एम. ही पात्र होगें । 30 साल वाला सहायक शिक्षक नहीं शिक्षा विभाग मिलता है तो प्रमोशन वरिष्ठता के क्रम में होगा और राज्य शिक्षा सेवा में जाते है तो प्रमोशन परीक्षा के माध्यम से होगा।

(5). शिक्षा विभाग के कर्मचारी होकर भी दोयम दर्जे का व्यवहार
पहले जैसे हम पंचायत के कर्मचारी थे पर पंचायत के नियम हम पर लागू नहीं होते थे ठीक उसी प्रकार राज्य शिक्षा सेवा में हम शिक्षा विभाग के कर्मचारी तो होगे पर शिक्षा विभाग के लिये लागू आदेश हम पर लागू नहीं होगे।

राज्य शिक्षा सेवा से फायदे
1. अध्यापक नेता का अस्तिव जीवित रहेगा, शिक्षा विभाग के किसी भी आदेश को लागू करने के लिये हमें इन नेताओं की शरण में जाना होगा फिर भोपाल में प्रदर्शन करना होगा,नेता अपनी ताकत सरकार के सामने पेश करेगा,चुनाव के लिये टिकट का सौदा होगा।

राज्य शिक्षा सेवा लागू ही करना है तो ये करे सरकार
सरकार को यदि राज्य शिक्षा सेवा का गठन कर शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना है तो सरकार, अध्यापक के साथ शिक्षकों की भी नियुक्ति राज्य शिक्षा सेवा में 1 जुलाई 2018 से क्यों नही करती? पंचायत विभाग के अध्यापक और शिक्षा विभाग के शिक्षक दोनों की नियुक्ति 1 जुलाई 2018 से राज्य शिक्षा सेवा में कर सरकार एक कैडर क्यों नहीं बनती । समान कार्य के एक ही विभाग मेें दो कैडर कानूनन गलत है। 
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