अधिकारियों ने पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट को प्राकृतिक आपदा बताया, 27 मौतें हुईं थीं

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। खैरी पटाखा फैक्ट्री विस्फोट कांड तो याद ही होगा। इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई थी। मांस के लोथड़े दूर दूर तक पड़े मिले थे। इस घटना के तत्काल बाद दण्डाधिकारी जांच के आदेश देते हुए ऐलान किया गया था कि जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी परंतु अब खबर आ रही है कि सरकारी दस्तावेजों में इस घटना को प्राकृतिक आपदा बताकर फाइल क्लोज कर दी गई। 7 जून को इस घटना की बरसी है। 

मंदसौर गोलीकांड से गंभीर है बालाघाट विस्फोट की घटना

पूरे मप्र में इन दिनों मंदसौर गोलीकांड की बरसी को लेकर राजनीति हो रही है। इस घटना में विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों पर पुलिस ने कथित फायरिंग की जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई। निश्चित रूप से यह दुखद घटना है और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए परंतु बालाघाट विस्फोट इससे भी ज्यादा गंभीर घटना है। मंदसौर में पुलिस की गोली से 06 किसान मारे गए, यहां प्रशासन की लापरवाही और घूसखोरी के कारण 27 मजदूर मारे गए लेकिन यहां मजदूर वोटबैंक नहीं हैं। वो एकजुट नहीं हुए इसलिए विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर ध्यान नहीं दिया। मंदसौर में राहुल गांधी जा रहे हैं, यहां कमलनाथ भी नहीं आ रहे। 

जांच के आदेश हुए लेकिन रिपोर्ट लापता

कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने इस घटना की दण्डाधिकारी जांच के निर्देश दिये थे जिसके आधार पर तत्कालीन कलेक्टर श्री भरत यादव ने जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अपर कलेक्टर श्रीमति मंजूषा राय को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जांच के निष्कर्ष 3 माह से अंतराल में दिये जाने थे। इसी दौरान जांच अधिकारी श्रीमति मंजूषा राय को हटाकर अपर कलेक्टर श्री शिवगोंविद मरकाम को जांच अधिकारी बनाया गया। आगामी 7 जून को इस घटनाक्रम के घटित होने को 1 वर्ष हो रहा है लेकिन आज तक जांच रिपोर्ट का क्या हुआ अब तक पता नही चला। इस संबंध में अपर कलेक्टर एवं जांच अधिकारी श्री शिवगोंविद मरकाम ने अवगत कराया की उनके द्वारा जांच पूर्ण कर प्रतिवेदन शासन को 2 माह पूर्व ही प्रेषित कर दिया गया है। इस पर शासन को निर्णय लेना है जो अभी तक अप्राप्त है।

सरकारी प्रेस रिलीज में घटना को प्राकृतिक आपदा बताया

मप्र शासन के जनसंपर्क कार्यालय बालाघाट द्वारा 13 जून 2017 को जारी किये गये समाचार के अनुसार तत्कालीन कलेक्टर श्री भरत यादव ने खैरी की फटाका फैक्ट्री में हुये विस्फोट की घटना में मृत 24 व्यक्तियों की वारिसों को राजस्व पुस्तिका 6-4 के प्रावधानों के तहत 4-4 लाख रूपये की सहायता मंजूर की है यह सहायता राशि मृतकों के वारिसों के बैंक खातें में ई-पेमेंट के द्वारा जमा करा दी जायेगी। इस तरह 1 करोेड 4 लाख रूपये की राशि मृतकों के वारसानों को प्रदान कर दी गई है। बताया गया है कि राजस्व पुस्तिका 6-4 के प्रावधानों के तहत सहायता उन्हीं को दी जाती है जो प्राकृतिक आपदा के शिकार होते हैं। यानी खैरी पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट एक प्राकृतिक आपदा थी ? 

मक्कार/घूसखोरों को क्यों बचा रही है सरकार

इस घटनाक्रम के लिये राजस्व, पुलिस, विद्युत, श्रम विभाग की लापरवाही साफ साफ दिखाई दे रही है। मौके का मुआयना किये बगैर पटाखा फैक्ट्री के संचालन की अनुमति कैसे दे दी गई? जांच रिपोर्ट के अब तक उजागर ना होने से यह संदेह उत्पन्न होता है कि इस घटनाक्रम के लिये जो अधिकारी जिम्मेदार है उन्हें क्लीनचिट देने की कवायद की जा रही है। इतना ही नही जिन अधिकारियों को अब तक कटघरे में खडे होते दिखाई देना था वे राजनेताओं के गले में हाथ डालकर मुस्कुराते हुये फोटो में दिखाई देते है। ये कैसा संवेदनशील प्रशासन है?
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