DOMINOS: ग्राहकों के साथ चीटिंग, 5 की जगह 18% GST वसूला: शिकायत | BUSINESS NEWS

नई दिल्ली। देश भर में लोग DOMINOS को ही असली पिज्जा मानते हैं। पिज्जा बाजार के आधे से ज्यादा हिस्से पर DOMINOS का कब्जा है। लोग लाइन लगाकर पिज्जा लेते हैं, भूखे होते हुए भी इंतजार करते हैं लेकिन क्या आपको पता है, हम सबकी पसंद DOMINOS ने लाखों ग्राहकों के साथ चीटिंग की है। सरकार ने पिज्जा पर जीएसटी घटा दिया था परंतु DOMINOS बढ़ी हुई दरों पर ही ग्राहकों से वसूली करता रहा। सरकारी छूट का लाभ ग्राहकों को नहीं दिया। अब डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सेफगार्ड्स (डीजीएस) ने जुबिलिएंट फूडवर्क्स को नोटिस दिया है। 

मामले में दो कस्टमर ने एंटी-प्रॉफिटिंग अथॉरिटी (एएफए) की स्टैंडिंग कमेटी से शिकायत की थी। डीजीएस मामले की जांच कर एएफए को रिपोर्ट सौंपेगा। एएफए कंपनी के खिलाफ जुर्माना लगाने और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई भी कर सकती है। बता दें कि इंटरनेशनल ब्रांड डोमिनोज की फ्रेंचाइजी भारत में जुबिलिएंट फूडवर्क्स के पास है।

5 की जगह वसूल रहे थे 18 फीसदी टैक्स
कस्टमर्स ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरकार ने नवंबर में जीएसटी को 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है लेकिन कंपनी ने डोमिनोज पिज्जा खरीदने पर उनसे 18 फीसदी जीएसटी वसूल किया। बता दें कि नवंबर 2017 में जीएसटी काउंसिल ने साढ़े सात हजार और उससे ज्यादा टैरिफ वाले होटलों में चल रहे रेस्टोरेंट्स को छोड़कर अन्य सभी के लिए जीएसटी दर घटाकर 5% कर दी थी। इससे पहले एयरकंडीशन वाले रेस्टोंमेंट के लिए 18% और साधारण रेस्टोरेंट के लिए 12% जीएसटी लागू था।

DGS ने मांगी थी प्राइस लिस्ट
जांच के दौरान डीजीएस ने जुबिलिएंट से मामले में अपना पक्ष रखने के लिए डॉक्यूमेंट देने को कहा। इसमें डायरेक्टोरेट ने पिछले साल नवंबर की प्राइसलिस्ट की मांगी। वहीं, नोटिस में पूछा गया है कि क्या कंपनी ने नवंबर में ग्राहकों को टैक्स में छूट का लाभ दिया है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कंपनी ने नोटिस का जवाब भेज दिया है। डायरेक्टोरेट जवाबों की समीक्षा कर रहा है और जरूरत पड़ने पर और सवाल भेजेगा।

ऐसे होती है मामलों की जांच
एफए में जीएसटी से जुड़े स्थानीय मामले पहले राज्यस्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजे जाते हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्तर के मामले स्टैंडिंग कमेटी के पास जाते हैं। यहां अगर शिकायत तथ्यपूर्ण पाई जाती है तो उसे डीजीएस के पास जांच के लिए भेजा जाता है। डीजीएस को मामले की जांच 3 महीने में पूरी करनी होती है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर स्टैंडिंग कमेटी से 3 माह का समय और बढ़वाया जा सकता है। डीजीएस जांच पूरी करने के बाद एफए के पास रिपोर्ट भेजता है। जिस पर कार्रवाई की जाती है।

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