क्या है होलाष्टक, क्या करें क्या न करें | HOLASHTAK

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक के आठ दिन को होलस्टक कहते है। इन आठ दिनों मे सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इन आठ दिनो मे गर्भाधान, विवाह, पुंस्वन, नामकरण चूडाकर्न, विद्या आरंभ, ग्रहप्रवेश, निर्माण, आदि शुभ कार्य वर्जित रहते है। क्या है होलास्टक-कहते है फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था,तथा रति के विनय करने पर धुलन्डि के दिन कामदेव को अनंग रुप मे रहने तथा भगवान कृष्ण के यहा जन्म लेने का वरदान दिया था।

कहते है फाल्गुन अष्टमी से पूर्णिमा तक भगवान शिव के कोप से प्रक्रति कामरहित हो गई थी,इसलिये इन आठ दिनो को होलास्टक मानकर शुभ कार्य नही किये जाते, इसके अलावा एक कारण यह भी है की हिरन्कषिपु की बहन होलिका ने इस दिन प्रह्लाद को अपने साथ दहन करने के लिये राजी किया लेकिन होलिकादहन मे होलिका के भस्म होने तथा प्रहलाद को ईश्वरकृपा से सुरक्षित निकलने को रंगोत्सव के रूप मे मनाया जाने लगा।

क्या करें
इन आठ दिनो मे घर की पुरानी चीजो को बाहर निकालना चाहिये,पूरे घर की तथा घर की सदस्यों की नज़र उतारकर उसे होली मे दहन करना चाहिये, होली की पवित्र अग्नि से घर का चूल्हा प्रज्वलित करना चाहिये।

क्या न करें
इस समयावधि मे कोई उत्सव नवीन कार्य का शुभारंभ नही करना चाहिये, नया निर्माण, भवन निर्माण राग रंग के कार्यों से बचना चाहिये।

2 मार्च के बाद शुरू होंगे शुभ कार्य
23 फरवरी से 2 मार्च तक होलस्टक के कारण शुभ कार्य वर्जित रहेंगे,इसके बाद 2 मार्च से 14 मार्च तक ही शादी विवाह अन्य शुभ कार्य किये जा सकते है, 14 मार्च से 14 अप्रेल तक सूर्य के मीन राशि मे आने से खरमास लग जायेगा,जिससे एक माह तक फ़िर आप कोई शुभ कार्य नही कर सकते।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु
9893280184, 7000460931

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