क्लास-3 एवं 4 कर्मचारी के वेतन से वसूली नहीं की जा सकती: हाईकोर्ट

जबलपुर। वेतन पुनरीक्षण के समय या अन्य किसी वेतन वृद्धि इत्यादि के समय विभाग/शासन द्वारा वसूली के संबंध में कर्मचारी से लिये गए वचनपत्र के आधार पर ग्रुप-सी एवं डी अर्थात क्लास-3 एवं 4 के कर्मचारी से, त्रुटिपूर्ण लाभ दिए जाने की स्थिति में वेतन से वसूली नही की जा सकती है। उपरोक्त आदेश पारित करते समय हाई कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया है कि वर्ग-3 एवं 4 के कर्मचारी तुलनात्मक रूप से कम वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं, अतः वसूली की अनुमति प्रदान करने से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। जिससे इनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। 

माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर से सुनवाई के दौरान पाया कि उक्त वेतन निर्धारण एवं त्रुटि में कर्मचारी की कोई भूमिका नही थी। ना ही किसी प्रकार की मिथ्या प्रस्तुति (मिथ्या जानकारी) की गई थी। माननीय हाई कोर्ट द्वारा तथ्यों एवं दस्तावेज़ों के अवलोकन के पश्चात पाया गया है कि यदि विभाग द्वारा त्रुटिपूर्ण वेतन का प्रदाय 10 या 20 वर्ष पूर्व किया था, अतः माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार उपरोक्त त्रुटि संशोधन 5 वर्ष के भीतर ही मान्य है। 

इतने वर्ष बाद वचनपत्र के आधार क्लास 3 एवं 4 से वसूली की अनुमति नही दी जा सकती है। अतः उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय पूर्ण रूप से वर्तमान प्रकरण में लागू होता है। वसूली निरस्त कर, वसूली गई राशि को 90 दिन के भीतर, वापस करने के निर्देश जारी किए हैं। उक्त आशय की जानकारी प्रकरण में याचिककर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से प्राप्त हुई है।

निम्नलिखित परिस्थितियों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वेतन एवं सेवा निवृति से सम्बंधित लाभों से वसूली को विधि विरुद्ध बताया है: 
1. ) वर्ग स एवं द के कर्मचारियों से अधिक भुगतान की वसूली अमान्य है।
2) किसी भी समूह के सेवा निवृत्त कर्मचारी/अधिकारी से सेवानिवृत्ति के पश्चात वसूली अमान्य है।
3) जिन कर्मचारियों को सेवा निवृत्ति का एक वर्ष शेष है उनसे वसूली अमान्य है।
4) पांच वर्ष तक त्रुटिपूर्ण भुगतान/वेतन पाने वाले कर्मचारी/अधिकारी से वसूली अमान्य है।
5)उच्च पद का निर्वहन करते समय प्राप्त अधिक भुगतान की वसूली अमान्य है।
6)उपरोक्त परिस्थितियों के अतिरिक्त भी न्यायालय दखल दे सकता है।
उपरोक्त निर्देशो में से किसी भी निर्देश की परिधि में आने वाले कर्मचारियों से वसूली अमान्य है। यह सिद्धांत मात्र वेतन निर्धारण के प्रकरणों में लागू है, उपरोक्त, जानकारी हाई कोर्ट, जबलपुर, के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से प्राप्त की गई है । 

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