
बता दें कि इंदु सरकार में इमरजेंसी के दौर को दिखाया गया है। इसमें नील नितिन मुकेश का किरदार संजय गांधी से प्रेरित बताया जा रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस इस फिल्म की रिलीज का विरोध कर रही है। अलग-अलग शहरों में फिल्म के खिलाफ होते प्रदर्शन को देखते हुए मधुर भंडारकर को अब सुरक्षा प्रदान की गई है. वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता फिल्म सेंसर बोर्ड के ऑफिस पहुंचे हैं। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता मुंबई में सेंसर बोर्ड के ऑफिस पहुंचे। वे बोर्ड के चीफ से मिलकर फिल्म के बारे में बात करना चाहते हैं। खबर लिखे जाने तक 14 प्रतिनिधियों को पहलाज निहलानी से मिलने की इजाजत दी गई है।
कांग्रेस पार्टी के मुताबिक गांधी परिवार को लेकर इस फिल्म में कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। कांग्रेस को आशंका है कि फिल्म में गांधी परिवार के दो सदस्यों पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और संजय गांधी को गलत परिप्रेक्ष्य में दिखाया गया है।
कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि फिल्म के पीछे कौन लोग है ये सभी जानते हैं और इसी वजह से फिल्म में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। सिंधिया ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि ये एक प्रायोजित फिल्म है। इमरजेंसी को लेकर बनी फिल्मों पर कांग्रेस और गांधी परिवार का विरोध नया नहीं है। इससे पहले 1975 में मशहूर फिल्मकार गुलज़ार की फिल्म 'आंधी ' में भी इंदिरा गांधी के किरदार को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने विरोध किया था। कांग्रेस ने प्रकाश झा की फिल्म 'राजनीति' को लेकर भी आपत्ति जताई थी हालांकि तब पार्टी ने खुलकर विरोध नहीं किया था।
मधुर ने कहा, मेरी बेटी और मेरा पूरा परिवार इस सबसे काफी डर गए हैं। मुझे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा होगा लेकिन पुणे और नागपुर के बाहर मेरे होटेल के सामने डरावना माहौल बन गया है। उन्होंने कहा, समझ नहीं आ रहा कि इतनी पुरानी पार्टी कांग्रेस आखिर मेरी एक छोटी सी फिल्म से डर गयी। उन्होंने नागपुर में हुई घटना के बाद राहुल गांधी से सवाल करते हुए एक ट्वीट भी किया था। उन्होंने बताया, मुझे सेंसर बोर्ड का भी समझ नहि आया कुल 16 सीन काटने के लिए बोला है। अब जो डायलॉग ट्रेलर और प्रोमो में सही लगे उन सीन्स के फिल्म में होने पर सेंसर बोर्ड को परेशानी है लेकिन मैं वो सब डिलीट नहीं करूंगा।
नागपुर के पोर्टो होटल में ये प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाने वाली थी लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई। मधुर भंडारकर अपनी टीम के साथ बीच रास्ते से ही लौट गए। मधुर ने राहुल गांधी को ट्वीट कर पूछा कि क्या उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।