
इसके जवाब में दत्तात्रेय ने कहा कि जहां तक ग्रेच्युटी का सवाल है, नौकरी छोड़ने या सेवानिवृत्ति के दिन से 30 दिनों के भीतर इसका भुगतान करना अनिवार्य है। जून में सरकार ने यह फैसला लिया था कि कर्मचारी को उसके सेवानिवृत्ति के दिन ही पेंशन भुगतान का आदेश मिल जाए, ताकि परेशानी के बिना वह सम्मान की जिंदगी जी सके।
ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड (सीबीटी) के सदस्य डीएल सचदेवा ने कहा कि पीएफ निकासी और पेंशन जैसे सभी दावों के ऑनलाइन निपटान की व्यवस्था पर काम कर चल रहा था। अब आवेदनों के ऑनलाइन निपटारे को हकीकत का रूप मिलेगा। साथ ही ईपीएफओ के अंशधारकों के लिए जटिल कागजी कार्य समाप्त हो जाएगा जबकि मौजूदा समय पीएफ निकासी दावे में कम से कम तीन माह तक का समय लग जाता था। इतना ही समय करीब पेंशन निर्धारण के निपटारे में लग जाता था। उन्होंने कहा कि देश में करीब 48.85 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और 55.51 लाख पेंशन प्राप्तकर्ता है।
क्या है ईपीएफ
यह केन्द्र सरकार की नौकरी-पेशा लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना है। मान लीजिए आपका वेतन 15,000 रुपये प्रति माह है तो इस ईपीएफ में शामिल होना आपके लिए अनिवार्य है। अगर आप नौकरी करते हैं तो आपकी कंपनी आपके वेतन से एक हिस्सा काटकर आपके ईपीएफ खाते में डाल देती है। इस पैसे को सरकार के इस कोष में डाल दिया जाता है। संबंधित कर्मचारी जरूरत के वक्त ब्याज सहित इस पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं। कर्मचारी को कंपनी ईपीएफ खाता नंबर देती है जिसके जरिए ऑनलाइन भी यह देखा जा सकता है कि आपके पीएफ खाते में कितना पैसा है।