आत्म मुग्धता छोड़, इनकी भी आवाज सुने सरकार !

राकेश दुबे@प्रतिदिन। तीन साल पहले जिन सपनों को दिखाकर नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता पर काबिज हुई थी वे सारे सपने पूरे भले न हुए हों, पर सरकार ने उस दिशा में बढ़ने का हौसला जरूर दिखाया है। लोग मोदी को आज भी न सिर्फ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं, बल्कि उनकी मुहिम का हिस्सा बनने को तैयार हैं। हाल के एक सर्वे में 17 प्रतिशत लोगों ने सरकार के काम को उम्मीद से बेहतर बताया है, जबकि 44 प्रतिशत लोगों ने इसे उम्मीद के मुताबिक कहा है। इस सरकार का एक ही कमजोर पहलू है कि वह दलितों, अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर तबकों की आवाज ठीक से नहीं सुन पा रही है। जो बहुत जरूरी है।

एक के बाद एक योजनाएं शुरू करके व्यवस्था की जड़ता पर प्रहार करने की कलगी मोदी सरकार के मुकुट में लगी है। जो हमारी सोच को हिलाती है। उदारीकरण का रास्ता अपनाने के बाद 1991 में हमारी अर्थव्यवस्था आगे तो बढ़ी लेकिन उसमें कुछ विसंगतियां भी पैदा होने लगीं। सुधारों का लाभ उठाकर एक ऐसा वर्ग पैदा हो गया, जिसने दोनों हाथों से माल काटा, लेकिन साथ में व्यवस्था को चूना भी लगाया। मोदी सरकार ने इससे निपटने का रास्ता अपनाया। काला धन निकालने के लिए कुछ समय तक पुरस्कार और दंड का तरीका अपनाने के बाद उसने नोटबंदी जैसा बड़ा दांव चला। इसका एक ठोस नतीजा यह निकला कि कई लोगों के पास बच निकलने की पतली गली भी नहीं रह गई। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के अनुसार नोटबंदी के बाद ९१  लाख लोगों को टैक्स के दायरे में लाया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

भारत में सूचना क्रांति अपने तरीके से आगे बढ़ रही थी, लेकिन इसमें एक बड़ा उछाल लाने के लिए मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की, कैशलेस इकॉनमी पर जोर दिया। ये कदम लोगों की जीवन शैली में बदलाव से जुड़े हैं और इनके कहीं ज्यादा बड़े नतीजे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। जनता से सीधे संवाद के मामले में मोदी सरकार का रेकॉर्ड असाधारण है। इसका असर हमारे सामाजिक जीवन पर भी पड़ रहा है। देश में नागरिक बोध पर अब तक कोई ठोस बात भी नहीं होती थी। स्वच्छता अभियान ने इसका बोध करा दिया।

इस सरकार का एक ही कमजोर पहलू है कि वह दलितों, अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर तबकों की आवाज ठीक से नहीं सुन पा रही है। इसका कोई सीधा नुकसान अभी तो नहीं पर आगे एक लामबंदी के रूप में उभर 2019 के रास्ते रोक सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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