क्या अजाक्स के कर्ताधर्ता इन 3 सवालों के जवाब देंगे

प्रति, अध्यक्ष, अजाक्स,मध्यप्रदेश, भोपाल।
विषयः- सक्षम अनुसूचित जाति/जन जाति वर्ग के व्यक्तियों द्वारा स्वेच्छा से आरक्षण त्याग कर मुख्य धारा में आने के संबंध में।
अजाक्स संगठन अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लोगों के हितार्थ कार्य करता हैं। अजाक्स द्वारा म.प्र. पदोन्नति नियम 2002 को मान्. उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा निरस्त कर दिये जाने के पश्चात् म.प्र.शासन पर दवाब बनाकर मान्. सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी कराई गई तथा स्वयं भी प्रकरण में दखल याचिका दायर की गई।

विगत एक वर्ष से इस संबंध में विभिन्न स्थानीय टी.वी चैनल एवं समाचार पत्रों के माध्यम से अजाक्स प्रतिनिधियों द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति को प्राप्त आरक्षण संवैधानिक अधिकार बताया गया साथ ही यह भी बताया गया कि चॅूकि यह जातिगत आधार पर है, अतः इसमें मान्. सर्वोच्च न्यायालय की पिछड़ेपन/क्रीमीलेयर की अवधारणा लागू की जाना बेमानी है। अर्थात् इस वर्ग का कोई व्यक्ति यदि पीढ़ीदर पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेता है तो वह उसका अधिकार है, चाहे वह आर्थिक/शैक्षणिक आधार पर कितना भी ऊपर उठ गया हो उसे आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। प्रतिनिधियों द्वारा यह भी बताया गया है कि आरक्षण का लाभ लेकर सक्षम हो चुके लोगों द्वारा स्वेच्छा से अब आरक्षण का लाभ लेना बन्द कर दिया गया है जबकि यह सामान्य धारणा है कि ऐसा नहीं है।

अजाक्स प्रतिनिधियों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि अभी भी दलित/आदिवासी वर्ग पर अत्याचार हो रहा है तथा जब तक जाति व्यवस्था समाप्त नहीं होती तब तक आरक्षण की व्यवस्था समाप्त नहीं होगीं एवं यह हमारा संविधान प्रदत्त अधिकार है। 

सपाक्स संस्था सर्व समाज की ओर से निम्न प्रश्नों पर अजाक्स संगठन का विचार जानना चाहती हैः-
1. क्या संगठन यह जानकारी सार्वजनिक करेगा कि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के आर्थिक/शैक्षणिक रूप से सक्षम हो चुके कितने शासकीय अधिकारियों ने इस आरक्षण व्यवस्था का लाभ लेने से स्वेच्छा से इन्कार करते हुये सामान्य रूप से अपने बच्चों को प्रतियोगिता करने हेतु प्रेरित किया।
2. क्या सक्षम हो चुके लोगों द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी सत्त आरक्षण का लाभ लिये जाने से इसी वर्ग के अन्य वास्तिविक वंचित लोग इस संविधान प्रदत्त व्यवस्था के लाभ से आज भी वंचित नहीं हो रहे है।
3. आरक्षण व्यवस्था वंचित वर्ग जो वास्तविक रूप से कमजोर है, को मुख्य धारा में लाकर उन्हें योग्य एवं प्रतियोगी बनाने के लिये संविधान निर्माता अम्बेडकर जी द्वारा लागू कराई गई थी। ऐसे में इस वर्ग के जो व्यक्ति मुख्य धारा में आ चुके हैं उन्हें सत्त इस का लाभ लेने का क्या नैतिक अधिकार है।

सपाक्स संस्था आव्हान करती है कि अजाक्स अपने ही वर्ग के वंचित तबके को मुख्य धारा में लाने के लिये अपने वर्ग के उन व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ छोड़ने हेतु प्रेरित करे तथा राजपत्रित श्रेणी के ऐसे  शासकीय कर्मियों की सूची सार्वजनिक करें जो मुख्य धारा में आ चुके हैं। 

अध्यक्ष, सपाक्स

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