
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक उनका प्रोबेशन 2 साल के लिए बढ़ाकर दिसंबर 2014 किया गया था। इसके बाद भी उन्हें दो साल का एक्सटेंशन दिया गया था। सालुंखे को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया था कि उन्हें बर्खास्त क्यों न किया जाए। जनवरी 2017 में भी उन्हें जवाब देने के लिए रिमाइंडर भेजा गया था, लेकिन उन्होंने उसका भी जवाब नहीं दिया। 22 मार्च को जारी निर्देश में कहा गया था कि सालुंके ने बेसिक फिजिकल फिटनेस पास नहीं की हैं, जो आईपीएस के योग्य बनने के लिए जरूरी हैं। सालुंके ने जानबूझकर अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की है और उनमें इस ड्यूटी के जरूरी मन और गुणों की कमी है।
यह पहली बार नहीं है जब किसी आईपीएस अफसर को फिजिकल पास न करने पर बर्खास्त किया गया हो। इससे पहले झारखंड कैडर की 2010 बैच की आईपीएस अफसर कुसुम पुनिया और प.बंगाल कैडर के ट्रेनी आईपीएस कुमार गौतम को पिछले साल इसी आधार पर बर्खास्त कर दिया गया था।केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें बहाल करने की अनुमति दी थी, लेकिन उन्हें एनपीए कोर्स के बाकी एग्जाम पास करने को कहा गया था। पुनिया और गौतम दोनों ने ऐसा किया और आईपीएस अधिकारियों के रूप में उनकी पुष्टि की गई थी।
बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद कई अफसरों पर गाज गिरी है। केंद्र सरकार ने एेसे कई अफसरों को पद से बर्खास्त कर दिया था, जिनका रिकॉर्ड बेहतर नहीं था। इतना ही नहीं निठल्ले अधिकारियों को भी वॉलंट्री रिटायरमेंट लेने को कहा गया था।