छत्तीसगढ़ में शराबबंदी आंदोलन: लोगों ने 300 शराब की दुकानें खाली करा दीं

रायपुर। शराबबंदी आंदोलन का यह दृश्य सचमुच इतिहास में दर्ज करने योग्य है। जिन मकान मालिकों की दुकानों में शराब की दुकानें संचालित थीं। उन्होंने शराब विक्रेताओं ने अपनी दुकानें खाली करा लीं। 31 मार्च को उनका एग्रीमेंट खत्म हो गया। 1 अप्रैल से उन्होंने अपनी दुकानें शराब विक्रय के लिए देने से मना कर दिया। 300 विक्रेताओं के पास अब शराब तो है लेकिन दुकान नहीं है। सरकार उन्हे सरकारी जमीन पर टेंट लगाकर शराब विक्रय करने का सुझाव दे रही है। 

शनिवार से बरसों से राज्य में ठेकेदारों के हाथों से चल रहा शराब का कारोबार सरकारी कंपनी स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन के हाथों चला जाएगा। यह कंपनी आबकारी विभाग के अधीन होगी। राज्य में शराब का कारोबार 712 दुकानों के जरिए चलता है। अब ये सभी दुकानें कंपनी चलाएगी। इसके लिए तीन हजार से अधिक कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए नियुक्त करने का काम अंतिम दौर में है। कंपनी ने देशी-विदेशी शराब की सप्लाई के लिए डिस्टलरियों और उत्पादकों से रेट कांट्रेक्ट भी कर लिया है। फिलहाल एक माह के लिए कंपनी ने 140 करोड़ की शराब खरीदने का अनुबंध किया है।

इस तैयारी के बीच सबसे बड़ी समस्या दुकानों को लेकर आ रही है। पूरे राज्य में आबादी वाले इलाकों में शराब दुकानें न खोलने देने का एक आंदोलन सा खड़ा हो गया है। इस वजह से किराए की दुकानें नहीं मिल रही हैं और नगरीय निकाय अब तक विवाद रहित स्थल पर दुकानें बनाने में सफल नहीं हो पाए हैं। एड़ी-चोटी लगाने के बाद विभाग कुछ सौ दुकानों की ही व्यवस्था कर पाया है। इस समस्या से निपटने के लिए मंत्री अमर अग्रवाल और मुख्य सचिव विवेक ढांड ने सोमवार को आबकारी विभाग और कंपनी के अफसरों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई। 

सूत्रों के अनुसार तय किया गया कि करीब 300 दुकानें टेंट में खोली जाएंगी। जगह तय करने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को दी गई है। ये सभी दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में कम खपत वाली होंगी। साथ ही अगले एक माह के दौरान नगर पंचायत और पालिकाओं से सभी दुकानों का निर्माण करने के लिए कहा गया है।

ठेके 3 माह के एक्सटेंशन पर भी देने की सुगबुगाहट
इधर विभाग में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि दुकानों की अनुपलब्धता और विवाद को देखते हुए वर्तमान ठेकों को ही एक्सटेंशन देने पर विचार किया जा रहा है। मंत्री अग्रवाल की अफसरों के साथ बैठक में इस विकल्प पर भी चर्चा हुई। विभाग की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि तब तक हाईकोर्ट में दायर याचिका पर भी फैसला आ जाएगा। एेसा कर सरकार अपनी किरकिरी से भी बच जाएगी।

डिप्टी कलेक्टर रखेंगे सप्लाई पर नजर
विभाग ने डिस्टलरियों और वेयर हाउस से शराब की सप्लाई पर नजर रखने डिप्टी कलेक्टरों को तैनात करने कहा है। मंत्री अमर अग्रवाल ने कारोबार के नजरिए से बड़े 11 जिलों के लिए यह व्यवस्था करने कहा है। जीएडी द्वारा एक-दो दिन में ये आदेश जारी कर दिए जाएंगे। राज्य में शराब की सप्लाई केडिया, भाटिया और जायसवाल समूह की डिस्टलरियों से होती है।
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